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तइओ उद्देसओ : 'पुढवी'
तृतीय उद्देशक : पृथ्वियाँ TRITIYA UDDESHAK (THIRD LESSON): PRITHVI (HELL)
सात नरक पृथ्वियों के नाम-गोत्रादि का वर्णन DESCRIPTION OF SEVEN HELLS.
१. रायगिहे जाव एवं वयासी
[१] राजगृह नगर में (श्रमण भगवान महावीर से) यावत् (गौतम स्वामी ने वन्दन-नमस्कार करके) इस प्रकार पूछा
1. (During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir arrived in) Rajagriha city... and so on up to... Gautam Swami asked
२. [प्र.] कइ णं भंते पुढवीओ पन्नत्ताओ? [उ.] गोयमा ! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, तं जहा-पढमा दोच्चा जाव सत्तमा। २. [प्र.] भगवन्! पृथ्वियाँ (नरक-भूमियाँ) कितनी कही गई हैं? [उ.] गौतम! पृथ्वियाँ सात कही गई हैं। वे इस प्रकार हैं-प्रथमा, द्वितीया यावत् सप्तमी।
2. [Q.] Bhante ! How many Prithvis (worlds of hell) are said to be there?
[Ans.] Gautam ! There are said to be seven Prithvis (worlds of hell)— The First, The Second... and so on up to... The seventh.
३. [प्र.] पढमा णं भंते ! पुढवी किंनामा? किंगोत्ता पन्नत्ता?
[उ.] गोयमा ! घम्मा नामेणं, रयणप्पभा गोत्तेणं, एवं जहा जीवाभिगमे पढमो नेरइयउद्देसओ सो निरवसेसो भाणियव्वो जाव अप्पाबहुगं ति। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति.।
॥ बारसमे सए : ततिओ उद्देसओ समत्तो॥ १२.३॥ ३. [प्र.] भगवन्! प्रथमा पृथ्वी किस नाम और किस गोत्र वाली है?
[उ.] गौतम! प्रथमा पृथ्वी का नाम 'घम्मा' और गोत्र 'रत्नप्रभा' है। शेष (छह पृथ्वियों का) सम्पूर्ण वर्णन जीवाभिगम सूत्र (की तृतीय प्रतिपत्ति) के प्रथम नैरयिक उद्देशक के समान 9 यावत् अल्पबहुत्व तक समझना चाहिए। भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4)
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