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१९-१. [प्र. ] बलियत्तं भंते! साहू, दुब्बलियत्तं साहू? ___[उ.] जयंती ! अत्थेगइयाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, अत्थेगइयाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू।।
१९-१. [प्र.] भगवन् ! जीवों की सबलता अच्छी है अथवा दुर्बलता? __ [उ.] जयन्ती! कुछ जीवों की सबलता अच्छी है तो कुछ जीवों की दुर्बलता अच्छी है।
19-1. [Q.] Bhante ! What is good for living beings-their being strong or their being weak ?
[Ans.] Jayanti ! It is better for some to be strong and for some to be weak.
१९-२ [प्र.] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'जाव साहू'? __[उ.] जयंती! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव विहरंति एएसि णं जीवाणं दुब्बलियत्तं • साहू। एए णं जीवा. एवं जहा सुत्तस्स (सु. १८ [२]) तहा दुब्बलियतस्स वत्तव्वया ॐ भाणियव्वा। बलियस्स जहा जागरस्स (सु. १८ [२]) तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारोके
भवंति, एएसि णं जीवाणं बलियत्तं साहू। से तेणटेणं जयंती! एवं वुच्चइ तं चेव जाव साहू।
१९-२. [प्र.] भगवन्! ऐसा किस कारण से कहा जाता है कि कुछ जीवों की सबलता अच्छी है और कुछ जीवों की दुर्बलता अच्छी है?
[उ.] जयन्ती! जो जीव अधार्मिक यावत् अधर्म से ही अपनी आजीविका करते हैं, ऐसे में जीवों की दुर्बलता अच्छी है। क्योंकि ये जीव दुर्बल होने से किसी प्राण, भूत, जीव और । सत्त्व को दु:ख आदि नहीं पहुँचा सकते, इत्यादि (१८-२ सू. के अनुसार) 'सुप्त' के समान
दुर्बलता का भी वर्णन करना चाहिए और 'जाग्रत' के समान सबलता का वर्णन करना ॥ म चाहिए। यावत् धार्मिक संयोजनाओं में संयोजित करते हैं, इसलिए ऐसे (धार्मिक) जीवों की ॐ सबलता अच्छी है।
हे जयन्ती! इसी कारण से ऐसा कहा जाता है कि कई जीवों की सबलता अच्छी है तो + कई जीवों की निर्बलता।
19-2. [Q.] Bhante ! Why is it said that it is better for some beings to be strong and for some beings to be weak ?
[Ans.] Jayanti! It is better for those beings to be weak who are irreligious... and so on up to... earn their living only through irreligion 5
बारहवाँशतक :द्वितीय उद्देशक
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Twelfth Shatak : Second Lesson |