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१६. [प्र.] सव्वे वि णं भंते ! भवसिद्धीया जीवा सिज्झिस्संति? [उ.] हंता, जयंती ! सव्वे वि णं भवसिद्धीया जीवा सिज्झिस्संति। १६. [प्र.] भगवन् ! क्या सभी भवसिद्धिक जीव सिद्ध हो जायेंगे? [उ.] हाँ, जयन्ती! सभी भवसिद्धिक जीव सिद्ध हो जायेंगे। 16. [Q.] Bhante ! Will all bhavasiddhik souls gain liberation ? ।
[Ans.] Yes, Jayanti! All bhavasiddhik (destined to gain liberation) souls will gain liberation.
१७-१. [प्र.] जइ णं भंते! सव्वे भवसिद्धीया जीवा सिज्झिस्संति तम्हा णं 5 भवसिद्धीयविरहिए लोए भविस्सइ? ___ [उ.] नो इणढे समठे।
___ १७-१. [प्र.] भगवन्! यदि सभी भवसिद्धिक जीव सिद्ध जो जायेंगे, तो क्या लोक में भवसिद्धिक जीवों से रहित हो जाएगा?
[उ.] जयन्ती! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
17-1. (Q.) Bhante ! If all bhavasiddhik souls will gain liberation then will the universe (Lok) be devoid of bhavasiddhik (destined to gain liberation) souls ? ___ [Ans.] Jayanti ! That is not true.
१७-२. [प्र.] से केणं खाइएणं अट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ-सव्वे वि णं : भवसिद्धीया जीवा सिज्झिस्संति, नो चेव णं भवसिद्धीयविरहिए लोए भविस्सइ? -
[उ.] जयंती! से जहानामए सव्वागाससेढी सिया अणाईया अणवेदग्गा परित्ता के म परिवुडा, सा णं परमाणुपोग्गलमत्तेहिं खंडेहिं समए समए अवहीरमाणी अवहीरमाणी
अणंताहिं ओसप्पिणि-अवसप्पिणीहिं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया, से तेणट्टेणं 5 ॐ जयंती! एवं वुच्चइ-सव्वे वि णं भविसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति, नो चेव णं म भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ।
१७-२. [प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि सभी भवसिद्धिक जीव 卐 सिद्ध हो जाने पर भी यह लोक भवसिद्धिक जीवों से रहित नहीं होगा?
भगवती सूत्र (४)
(254)
Bhagavati Sutra (4)