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and instructed—"Beloved of gods! Get Kaushambi city cleaned from inside and outside fast etc."; quote all details as mentioned in Aupapatik Sutra in connection with king Kunik. ... and so on up to...commenced worship.
___७. तए णं सा जयंती समणोवासिया इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणी हट्ठतुट्ठा जेणेव मियावई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवा. २ मियावइ देविं एवं वयासी-एवं जहा नवमसए उसभदत्तो (स. ९ उ. ३३) जाव भविस्सइ।
[७] तदोपरान्त वह जयन्ती श्रमणोपासिका भी इस (भगवान के पधारने का) समाचार सुनकर हर्षित एवं सन्तुष्ट हुई और मृगावती के पास आकर इस प्रकार बोली-इत्यादि आगे का सम्पूर्ण कथन नौवें शतक (उ. ३३) में ऋषभदत्त ब्राह्मण के प्रकरण के समान जानना चाहिए।
7. Jayanti shramanopasika was also pleased and contented to hear this news (Bhagavan's arrival in Kaushambi). She came to Mrigavati and said etc. quote all details as mentioned in the story of Rishabhdatt Brahmin in chapter-9 (lesson-33).
८. तए णं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा (स. ९. उ. ३३) है जाव पडिसुणेइ।
[८] तदोपरान्त उस मृगावती देवी ने भी जयन्ती श्रमणोपासिका के वचन उसी प्रकार की 卐 स्वीकार किये, जिस प्रकार (शतक ९, उ. ३३, में) देवानन्दा ब्राह्मणी ने ऋषभदत्त के म वचन) यावत् स्वीकार किये थे।
8. Queen Mrigavati too accepted Jayanti shramanopasika's words like Devananda Brahmini had accepted the words of Rishabh-datt Brahmin... and so on up to... accepted her suggestion.
९. तए णं सा मियावई देवी कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ, को. स. २ एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्तजोइय. जाव (स. ९, उ. ३३) धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेंति जाव पच्चप्पिणंति।
[९] तदोपरान्त उस मृगावती देवी ने कौटुम्बिक पुरुषों का बुलाया और उनसे इस ॐ प्रकार कहा-“देवानुप्रियो! जिसमें वेगवान् घोड़े जुते हों, ऐसा यावत् धार्मिक श्रेष्ठ रथ जोत म कर शीघ्र ही उपस्थित करो।" कौटुम्बिक पुरुषों ने यावत् रथ लाकर उपस्थित किया और ॐ यावत् उनकी आज्ञा वापिस सौंपी (पालन किया)। भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4) | 85555555555555555555555555555+++++5555