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DVITIYA UDDESHAK (SECOND LESSON) : JAYANTI SHRAMANOPASIKA
INTRODUCTION
बीओ उद्देसओ : जयंती
द्वितीय उद्देशक : जयंती श्रमणोपासिका
जयन्ती श्रमणोपासका और उससे सम्बन्धित अन्य व्यक्तियों का परिचय OF JAYANTI AND HER KINFOLK
चेइए। वण्णओ ।
१. तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी नामं नयरी होत्था । वण्णओ। चंदोवतरणे
[१] उस काल और उस समय में कौशाम्बी नाम की नगरी थी। (उसका से जान लेना चाहिए । ) वहाँ चन्द्रोपतरण (चन्द्रावतरण) नाम का उद्यान था ।
औपपातिक सूत्र . ( उसका वर्णन भी औपपातिक सूत्र के अनुसार जान लेना चाहिए ।)
1. During that period of time there was a city called Kaushambi. Description (of the city as mentioned in Aupapatik Sutra). Outside the city there was a chaitya (temple complex and garden) called Chandravataran. Description (as mentioned in Aupapatik Sutra).
२. तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रण्णो पोत्ते, सयाणीयस्स रणो पुत्ते, चेडगस्स रण्णो नत्तुए, मियावईए देवीए अत्तए, जयंतीए समणोवासियाए भत्तिज्जए उदयणे नामं राया होत्था । वण्णओ ।
वर्णन
बारहवाँ शतक : द्वितीय उद्देशक
[२] उस कौशाम्बी नगरी में सहस्रानीक राजा का पौत्र, शतानीक राजा का पुत्र,
चेटक राजा का दौहित्र, मृगावती देवी (रानी) का आत्मज और जयन्ती श्रमणोपासिका का भतीजा 'उदयन' नामक राजा था । ( उसका वर्णन भी औपपातिक सूत्र के अनुसार जान लेना चाहिए। )
2. In that Kaushambi city ruled a king named Udayan, who was
the grandson of king Sahasraneek, son of king Shataneek, grandson of king Chetak (on maternal side), son of queen Mrigavati and nephew (brother's son) of shramanopasika Jayanti. (Description as mentioned in Aupapatik Sutra).
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Twelfth Shatak: Second Lesson
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