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नमंसइ, वं. २ एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हेहिं से विउले असण० जाव साइमे ॥ म उवक्खडाविए, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! तं विउलं असणं जाव साइमं आसाएमाणा जाव के म पडिजागरमाणा विहरामो।' _ [१६] फिर पुष्कली श्रमणोपासक, जिस पौषधशाला में शंख श्रमणोपासक था, वह वहाँ
उसके पास आया और गमनागमन का प्रतिक्रमण करने के बाद शंख श्रमणोपासक को वन्दन-नमस्कार म करके इस प्रकार बोला-“देवानुप्रिय! हमने वह विपुल अशन, पान, खादिम और स्वादिम (भोजन)
तैयार करा लिया है। अतः देवानुप्रिय! हम दोनों चलें और वह विपुल अशनादि आहार एक-दूसरे म को देते हुए और उपभोगादि करते हुए पौषध करें।"
16. Then Pushkali shramanopasak came to the paushadh shaala (austerity chamber) where Shankh was observing his vow. After doing critical review for his movement he greeted Shankh and said "Beloved of gods ! As advised by you, we have prepared ample ashan, paan, khadya, svadya (staple food, liquids, general food, and savoury food). As such, O
beloved of gods ! Please come; let's go and observe partial ascetic vow 41 offering that food to one another and eating it."
१७. तए णं से संखे समणोवासए पोक्खलिं समणोवासयं एवं वयासी-'नो खलु ॐ कप्पइ देवाणुप्पिया! तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणस्स जाव
पडिजागरमाणस्स विहरित्तए। कप्पइ मे पोसहसालाए पोसहियस्स जाव विहरित्तए। तं छंदेणं म देवाणुप्पिया! तुब्भे तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणा जाव विहरह।'
[१७] (यह सुनकर) शंख श्रमणोपासक ने पुष्कली श्रमणोपासक से इस प्रकार कहाम "देवानुप्रिय! उस विपुल अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य का उपभोग आदि करते हुए यावत् मेरे लिये म (अब) पौषध करना कल्पनीय नहीं है। पौषधशाला में बिना आहार पौषध अंगीकार करके यावत्
धर्मजागरणा करते हुए रहना मेरे लिए कल्पनीय है। अतः हे देवानुप्रिय! तुम सब अपनी इच्छानुसार उस विपुल अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य (आहार) का उपभोग आदि करते हुए यावत् पौषध का अनुपालन करो।" .
17. Hearing this, Shankh shramanopasak said to Pushkali shramanopasak-"Beloved of gods ! Now it is not proper for me to enjoy that ample staple food, liquids, general food, and savoury food... and so on up to... observe partial ascetic vow. For me now it is proper just to
बारहवाँशतक : प्रथम उद्देशक
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Twelfth Shatak : First Lesson