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11. On hearing and understanding this answer from Shraman Bhagavan Mahavir those shramanopasaks offered salutations and 4 homage to Bhagavan and came back to Rishibhadraputra. After coming 4
to shramanopasak Rishibhadraputra they greeted him and, after paying homage, humbly sought his forgiveness repeatedly for not accepting his s statement (aforesaid) to be true.
१२. तए णं ते समणोवासया पसिणाई पुच्छंति, प. पु. २ अट्ठाइं परियाइयंति, अ. प. . २ समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वं. २ जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया। ___[१२] तत्पश्चात् उन श्रमणोपासकों ने भगवान से कई प्रश्न पूछे तथा उनके अर्थ ग्रहण किए इसके बाद श्रमण भगवान् महावीर को वन्दना-नमस्कार करके जिस दिशा से आए थे, उसी में दिशा में (अपने-अपने स्थान पर) वापस चले गए।
12. Later they asked many other questions to Bhagavan and got answers. Then they offered salutations and homage to Shraman Bhagavan Mahavir and went back in the directions they came from (returned to their respective abodes). भगवान द्वारा ऋषिभद्रपुत्र के भविष्य के सम्बन्ध में कथन BHAGAVAN PREDICTS FUTURE OF RISHIBHADRAPUTRA
१३. 'भंते !' त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वं. २ एवं वयासी
[प्र.] पभू णं भंते! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे, भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ?
[उ.] नो इणढे समठे, गोयमा! इसिभद्दपुत्ते णं समणोवासए बहूहिं सीलव्वयगुणव्वय-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं ॐ भावेमाणे बहूई-वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिद, ब. पा. २ मासियाए संलेहणाए
अत्ताणं भूसेहिइ, मा. झू. २ सर्द्धि भत्ताई अणसणाए छेदेहिइ स. छे. २ आलोइयपडिक्कते म समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिए। ॐ तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। तत्थ णं इसिभद्दपुत्तस्स है वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई भविस्सइ।
१३. तदोपरान्त हे भगवन्! इस प्रकार सम्बोधित करते हुए भगवान् गौतम ने श्रमण भगवान् 卐 महावीर को वन्दन-नमस्कार करके इस प्रकार पूछा
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| भगवती सूत्र (४)
(214)
Bhagavati Sutra (4)
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