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बारहवाँ शतक : चतुर्थ उद्देशक :
पुद्गल
दो परमाणु- पुद्गलों के संघात एवं विभाग का निरूपण
तीन परमाणु- पुद्गलों के संघात एवं
विभाग का निरूपण
सात परमाणु के पुद्गलों के संयोग और विभाग का निरूपण आठ परमाणु-पुद्गलों के संयोग एवं विभाग का निरूपण . नौ परमाणु- पुद्गलों के संयोग और विभाग का निरूपण
266-323
267
268
चार परमाणु- पुद्गलों का संयोजन व वियोजन 267 पाँच परमाणु-पुद्गलों का संयोजन व वियोजन छह परमाणु-पुद्गलों के संयोग एवं विभाग का निरूपण
दस परमाणु-पुद्गलों का संयोजन और वियोजन
संख्यात परमाणु-पुद्गलों के संयोग और विभाग से बने भंगों का निरूपण असंख्यातं परमाणु-पुद्गलों के संयोग और विभाग से निष्पन्न भंग का निरुपण अनन्त परमाणु-पुद्गलों के संयोग और विभाग से निष्पन्न भंग की प्ररूपणा परमाणु-पुद्गलों का पुद्गल परिवर्त्तन और उसके प्रकार एकवचन एवं बहुवचन की दृष्टि से चौबीस
दण्डकों में औदारिकादि सात पुद्गल परिवर्तन की प्ररूपणा
एकत्व की अपेक्षा से चौबीस दण्डकों में
अतीतादि सात प्रकार के पुद्गल परिवर्तनों
की प्ररूपणा
266
271
269 बारहवाँ शतक : पंचम उद्देशक : अतिपात
273
275
279
285
289
293
296
299
बहुत्व की अपेक्षा से नैरयिकादि जीवों के नैरयिकत्वादि रूप में अतीतादि सात प्रकार के पुद्गल - परिवर्त्तनों की प्ररूपणा सात प्रकार के पुद्गल - - परिवत्तनों का निर्वर्त्तनाकाल निरूपण
सप्तविध पुद्गल-परिवर्तों के निष्पत्तिकाल
306
का अल्प - बहुत्व
सात प्रकार के पुद्गलपरिवर्त्तनों का
अल्पबहुत्व
अठारह पापस्थानों में वर्ण- गन्ध-रसस्पर्श की प्ररूपणा
अठारह पापस्थान - विरमण में वर्णादि का अभाव होता है
चार बुद्धि, अवग्रहादि चार, उत्थानादि पाँच के विषय में वर्णादि की प्ररूपणा अवकाशान्तर, तनुवात - घनवात- घनोदधि, पृथ्वी आदि के विषय में वर्णादि प्ररूपणा चौबीस दण्डकों में वर्णादि की प्ररूपणा धर्मास्तिकाय से लेकर अद्धाकाल तक वर्णादि की प्ररूपणा
गर्भ में उत्पन्न हो रहे जीव में वर्णादि की
प्ररूपणा
कर्मों के कारण जीव का विविध रूपों में परिणमन
313
(17)
318
324-344
319
322
324
331
331
334
336
339
343
343
बारहवाँ शतक : छठा उद्देशक : राहु द्वारा चन्द्र का ग्रहण (ग्रसन)
345-358
राहुदेव का स्वरूप, उनके विमानों का वर्ण और उनके द्वारा चन्द्र ग्रसन की लोकभ्रान्तियों का निराकरण
345
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