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१३. [प्र.] कया णं भंते ! दिवसा य राइओ य समा चेव भवंति? ___ [उ.] सुदंसणा ! चेत्तसोयपुण्णिमासु णं, एत्थ णं दिवसा य राइओ य समा चेव ॐ भवंति; पन्नरसमुहत्ते दिवसे, पन्नरसमुहुत्ता राइ भवइ; चउभागमुहुत्तभागूणा चउमुहुत्ता दिवस्स वा राइए वा पोरिसी भवइ। से त्तं पमाणकाले।
१३. [प्र.] भगवन्! दिवस और रात्रि, ये दोनों समान कब होते हैं?
[उ.] सुदर्शन ! चैत्र और आश्विनी पूर्णिमा को दिवस और रात्रि दोनों समान (बराबर) होते है के हैं। उस दिन पन्द्रह मुहूर्त का दिन और पन्द्रह मुहूर्त की रात होती है तथा दिवस एवं रात्रि की पौने ऊ म चार मुहूर्त की पौरुषी होती है।
इस प्रकार प्रमाणकाल कहा गया है। 13. [Q.] Bhante! When is the length of the day and night same?
[Ans.] Sudarshan! On the 15th of the bright half (Purnima) of the 4 months of Chaitra and Aashwin the length of the day and night is same. P. On that date both day and night are fifteen Muhurts long. Also, the 4 Paurushis (quarters) of day and night are three and a three quarter 5
Muhurts long. This completes the description of Pramaan Kaal (Solar time).
विवेचन-प्रमाणकाल-जिससे दिवस, रात्रि, वर्ष, शतवर्ष, आदि का प्रमाण जाना जाए, उसे , प्रमाणकाल कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है-दिवस प्रमाणकाल और रात्रि प्रमाणकाल। सामान्य र
दिन या रात्रि का प्रमाण चार-चार प्रहर का माना गया है। एक प्रहर को पौरुषी कहते हैं। जितने 卐 दिन या रात्रि होती है, उसका चौथा भाग पौरुषी कहलाता है। दिवस और रात्रि की उत्कृष्ट पौरुषी साढ़े चार मुहूर्त की होती है और जघन्य पौरुषी तीन मुहूर्त की होती है।
उत्कृष्ट दिन और रात-आषाढ़ी पूर्णिमा को १८ मुहूर्त का दिन और पौषी पूर्णिमा को १८ मुहूर्त की रात्रि होती है, उस कथन को पंच-संवत्सर-परिमाण-युग के अन्तिम वर्ष की अपेक्षा से समझना चाहिए।
अन्य वर्षों में तो कर्क संक्रान्ति जब होती है, तभी १८ मुहूर्त का दिन और रात्रि होती है। जब १८ मुहूर्त के म दिन और रात होते हैं, तब उनकी पौरुषी ४% मुहूर्त की होती है।
समान दिन और रात-चैत्री और आश्विनी पूर्णिमा को दिन और रात्रि दोनों समान होते हैं, अर्थात् इन दोनों में १५-१५ मुहूर्त का दिवस और रात्रि होते हैं। इस कथन को भी व्यवहार नय से समझना चाहिए। निश्चय में तो कर्क संक्रान्ति और मकर संक्रान्ति से जो ९२वाँ दिन होता है, तब रात्रि और दिवस दोनों समान होते हैं।
जघन्य दिन और रात-आषाढ़ी-पूर्णिमा को बारह मुहूर्त की जघन्य रात्रि और पौषी पूर्णिमा को 12 ॥ 卐 मुहूर्त का जघन्य दिन होता है। जब 12 मुहूर्त के दिन और रात होते हैं, तब दिन एवं रात्रि की पौरुषी तीन
मुहूर्त की होती है।
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| ग्यारहवॉशतक : ग्यारहवाँ उद्देशक
(167) Eleventh Shatak : Eleventh Lesson 5555555555555555555555555555555