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[Ans.] Bhante ! That is not correct.
Gautam ! That is why, I say that space-points (pradesh) of living, though linked together or touching one another or connected or mutually
connected, do not cause pain and intense pain to each other nor do they $i pierce parts of each other.
विवेचन-जिस तरह एक नर्तकी को देखने के लिये हजारों लोगों की दृष्टि पड़ती है। वे दृष्टियाँ नर्तकी को या आपस में किसी को बाधा पीड़ा नहीं कर सकती। वैसे ही लोक के एक आकाश प्रदेश पर विविध जीव एवं अजीव रह सकते हैं और उनमें किसी को किसी से बाधा नहीं पहुँचती है क्योंकि वे सूक्ष्म जीव होते हैं अथवा औदारिक शरीर रहित छोटे-छोटे जीव आदि होते हैं। अरूपी अजीव भी वहाँ होते हैं। रूपी अजीव सूक्ष्म परिणाम परिणत भी होते हैं। इन अपेक्षाओं से एक आकाश प्रदेश पर ये सभी एक साथ 5 रह सकते हैं।
Elaboration-While looking at a performing dancer thousands of eyes fall on the dancer but the glances do not disturb or hurt the dancer or
for that matter each other. In the same way many different living beings $. and non-living particles can coexist on a single space-point without
mutually interfering. This is because those living beings are very minute. The non-living things are also very minute. Thus they can exist together on one space-point. एक आकाशप्रदेश में जघन्य-उत्कृष्ट जीवप्रदेशों एवं सर्व जीवों का अल्पबहुत्व COMPARATIVE NUMBERS ON ONE SPACE-POINT
२९. [प्र.] लोयस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपएसे जहन्नपए जीवपएसाण, उक्कोसपए जीवपएसाणं, सव्वजीवाणं य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा?
[उ.] गोयमा ! सव्वत्थोवा लोयस्स एगम्मि आगासपएसे जहन्नपए जीवपएसा, सव्वजीवा असंखेज्जगुणा, उक्कोसपए जीवपएसा विसेसाहिया। सेवं भंते ! संवं भंते ! त्ति.।
॥ एक्कारसमे दसमो उद्देसओ समत्तो॥ २९. [प्र.] भगवन् ! लोक के एक आकाश प्रदेश पर जघन्य पद में रहे हुए जीव-प्रदेशों, , उत्कृष्ट पद में रहे हुए जीव-प्रदेशों और समस्त जीवों में से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है?
[उ.] गौतम! लोक के एक आकाश प्रदेश पर जघन्य पद में रहे हुए जीव-प्रदेश सबसे म थोड़े हैं, उनसे सर्व जीव असंख्यात गुणे हैं, उनसे (एक आकाश प्रदेश पर), उत्कृष्ट पद में रहे है है हुए जीव-प्रदेश विशेषाधिक हैं।
ग्यारहवाँशतक: दसवाँ उद्देशक
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Eleventh Shatak : Tenth Lesson