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में रखकर यथावश्यक उपयोग किया है। सरल भावानुसारी अंग्रेजी अनुवाद द्वारा इस आगम को है
और भी अधिक उपयोगी एवं रुचिप्रद बना दिया है जो आज की युवा पीढ़ी के अन्दर शास्त्र-पठन की प्यास जगाने एवं आत्म-अनुभूति की ललक जगाने हेतु मददगार साबित होगा, ऐसा हमारा विश्वास है।
परिशिष्ट में शतक 10 से 13 तक आये हुए अर्ध मागधी के जैन पारिभाषिक शब्दों की है एक विस्तृत शब्दावली दी गई है जिसमें इन शब्दों का जैन परिभाषिक अर्थ अंग्रेजी में सरलता पूर्वक समझाया गया है। आगमों का गहन अध्ययन करने वाले विद्वानों के लिए यह अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।
आगमों के इस विस्तृत श्रम-साध्य कार्य को व्यवस्थित रूप से सम्पन्न कराने में मेरे परम म उपकारी श्रद्धेय पूज्य गुरुदेव उ. भा. प्रवर्तक, राष्ट्रसंत भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. सा. का है
आशीर्वाद कदम-कदम पर सम्बल की भाँति साथ रहा है। मैं ऐसे परम उपकारी गुरुदेव के प्रति विनयावन्त हूँ।
इसके संपादन आदि में हमेशा की तरह मेरे प्रिय शिष्य आगम रसिक वरुण मुनि जी, स्व. श्रीचन्द जी सुराणा 'सरस' के सुपुत्र संजय सुराणा एवं अंग्रेजी अनुवादक सुरेन्द्र जी बोथरा ने पूर्ण सहयोग दिया है। साथ ही इसके प्रकाशन में जिन गुरुभक्तों ने उदार हृदय पूर्वक अर्थ-सहयोग प्रदान किया है, उन सभी को हम साधुवाद देते हैं। आशा है कि अंग्रेजी अनुवाद के साथ यह सचित्र भगवती सूत्र (भाग-4) श्रुत उपासकों को न केवल सद्धर्म चरणाभिमुख बनाए अपितु आत्म-दर्शन भी कराए।
-प्रवर्तक अमर मुनि
जैन स्थानक, लुधियाना
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