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८. तए णं ते कोडुं वियपुरिसा तहेव उवट्ठवेंति।
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८] उसके बाद वे कौटुम्बिक पुरुषों ने राजा के आदेश अनुसार राज्याभिषेक की तैयारी की । 8. The attendants made arrangements for the coronation as instructed by the king.
९. तए णं से सिवे राया अणेगगणनायग-दंडनायग जाव - संधिपाल सद्धिं संपरिवुडे सिवभद्दं कुमारं सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयावेइ, नि. २ अट्ठसएणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अट्ठसएणं भोमेज्जाणं कलसाणं सव्विड्डीए जाव रवेणं महया महया रायाभिसेणं अभिसिंचइ, म. अ. २ पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाइं पम्ह. लू. २ सरसेणं गोसीसेणं एवं जहेव जमालिस्स अलंकारो तहेव जाव कप्परुक्खगं पिव अलंक्रियाविभूसियं करेइ, करित्ता करयल जाव कट्टु सिवभद्दं कुमारं जएणं विजएणं वृद्धावेंति, जएणं विजएणं वद्धावित्ता ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं जहा उववाइए जाव परमाउं पालयाहि, इट्ठजणसंपरिवुडे हत्थिणापुरस्स नयरस्स अन्नेसिं च बहूणं गामाग़र-नयरं जाव विहराहि, त्ति कट्टु जयजयसद्दं पउंजंति ।
लूहेइ,
कोणियस्स
[९] यह हो जाने पर शिव राजा ने अनेक गणनायक, दण्डनायक यावत् सन्धिपाल आदि राज्यपुरुष - परिवार से युक्त होकर शिवभद्र कुमार को पूर्व दिशा की तरफ मुख करके श्रेष्ठ सिंहासन पर आसीन किया। फिर एक सौ आठ सोने के कलशों द्वारा यावत् एक सौ आठ मिट्टी
के कलशों द्वारा सर्व ऋद्धि (राजचिह्नों) के साथ यावत् बाजों के महा नाद के साथ राज्याभिषेक से अभिषिक्त किया। तदनन्तर अत्यन्त कोमल सुगन्धित गन्ध काषाय वस्त्र (तौलिया) द्वारा उसके शरीर को पोंछा। फिर गोशीर्ष चन्दन का लेप किया । यावत् जमालि के वर्णन अनुसार कल्पवृक्ष के समान अलंकारों से अलंकृत किया। इसके पश्चात् हाथ जोड़कर शिवभद्र कुमार को जय-विजय शब्दों से बधाई दी और औपपातिक सूत्र में वर्णित कोणिक राजा के प्रकरण अनुसार - (शिवभद्र कुमार को) इष्ट, कान्त एवं प्रिय शब्दों द्वारा आशीर्वाद दिया, यावत् कहा कि तुम दीर्घायु हो और इष्ट जनों से युक्त होकर हस्तिनापुर नगर और अन्य बहुत-से ग्राम, आकर, नगर आदि के परिवार, राज्य और राष्ट्र आदि के स्वामित्व का उपभोग करते हुए विचरो; इत्यादि कहकर जय-जय शब्द का उच्चारण किया ।
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9. Once this was done, King Shiva, along with his retinue of many chieftains (gananaayag or gananaayak); administrators (dandanaayag or dandanaayak)... and so on up to... diplomats ( sandhivaal or sandhipaal), seated prince Shivabhadra on an exquisite throne facing east. Having done that they performed the ritual of pre-crowning anointing (raajyaabhishek ) with grand fanfare (including royal canopy, other regalia and sound of musical instruments) using one hundred eight ग्यारहवाँ शतक : नौंवा उद्देशक
Eleventh Shatak: Ninth Lesson
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