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85555555555555555555555555555555555555 + ४. तस्स णं सिवस्स रण्णो धारिणी नामं देवी होत्था, सुकुमालपाणिपाया०। वण्णओ।
[४] उस शिव राजा की धारिणी नाम की देवी (पटरानी) थी। उसके हाथ-पैर अतिसुकुमाल में म थे, आदि रानी का वर्णन यहाँ करना चाहिए।
4. The queen of King Shiva was Dhaarini. She had delicate limbs... description. (as mentioned in Aupapatik Sutra)
५. तस्स णं सिवस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए अत्तए सिवभद्दए नाम कुमारे होत्था, सुकुमाल. जहा सूरियकंते जाव पच्चुवेक्खमाणे पच्चुवेक्खमाणे विहरइ।
[५] उस शिव राजा का पुत्र और धारिणी रानी का अंगजात ‘शिवभद्र' नाम का कुमार था। उसके हाथ-पैर अत्यन्त सुकुमाल थे। कुमार का वर्णन राजप्रश्नीय सूत्र में कथित सूर्यकान्त राजकुमार के समान समझना चाहिए, यावत् वह कुमार राज्य, राष्ट्र, बल (सैन्य), वाहन, कोश, कोष्ठागार, पुर, अन्तःपुर और जनपद का स्वयमेव अवलोकन करता हुआ रहता था।
5. Prince Shivabhadra was King Shiva's son, born from queen Dhaarini. He had delicate limbs like Suryakant (as mentioned about prince Suryakant in Rajaprashniya Sutra)... and so on up to... that prince spent his time observing and looking after the kingdom, country, army, vehicles, treasure, fort, palace, inner quarters and inhabited area.
शिव राजा का दिक्प्रोक्षिक-तापस-प्रव्रज्याग्रहण-संकल्प KING SHIVA'S INITIATION INTO DIRECTIONAL WORSHIP
६. तए णं तस्स सिवस्स रणो अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि रज्जधुरं ऊ चिंत्तेमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-"अस्थि ता मे पुरा पोराणाणं ॥
जहा तामलिस्स जाव-पुत्तेहिं वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, रज्जेणं वड्ढामि, एवं रट्टेणं ॐ बलेणं वाहणेणं कोसेणं कोट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण.
जाव संतसारसावएज्जेणं अतीव अतीव अभिवड्ढामि, तं किं णं अहं पुरा पोराणाणं जाव के एगंतसोक्खयं उव्वेहमाणे विहरामि? तं जाव ताव अहं हिरण्णेणं वड्ढामि, तं चेव जाव भी अभिवड्ढामि, जावं च मे सामंतरायाणो वि वसे वति, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए ऊ जाव जलते सुबहु लोही-लोहकडाह-कडुच्छुयं तंबियं तावसभंडयं घडावेत्ता, सिवभई कुमारं
रज्जे ठावित्ता, तं सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडुच्छुयं तंबियं तावसभंडयं गहाय जे इमे । गंगाकूले वाणपत्था तावसा भवंति, तं जहा-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जन्नई सड्डई थालई ॥ हुंबउट्ठा दंतुक्खलिया उम्मज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपक्खाला दक्खिणकूलगा
उत्तरकूलगा संखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धया हत्थितावसा उदंडगा दिसापोक्खिणो है वक्कवासिणो चेलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो
| भगवती सूत्र (४)
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Bhagavati Sutra (4) 845555555555555555555555555555555555558