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से बंधा हुआ नहीं है। इस मंत्र में गुणपूजा को स्थान प्राप्त है, किसी विशिष्ट इष्टदेव को इसमें नमस्कार नहीं किया गया है।
नमोकार सूत्र को 'पंच परमेष्ठी सूत्र' भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें पांच परम- इष्ट अथवा पांच प्रकार की परम उत्कृष्ट आत्माओं को नमस्कार किया गया है। पांच परमेष्ठी पद हैं1. अरिहन्त, 2. सिद्ध, 3. आचार्य, 4. उपाध्याय, एवं 5. साधु ।
अरिहन्त : प्रथम पद में अरिहन्तों को नमस्कार किया गया है। अरिहन्त का अर्थ है- अरिहंत, अर्थात् कर्म रूप अरियों / शत्रुओं का जिन्होंने हनन / अन्त कर दिया है, उन्हें अरिहन्त कहा जाता है।
ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय- ये चार घनघाती कर्म हैं। अरिहन्त इन चारों कर्मों को नष्ट करके केवलज्ञान, केवलदर्शन को प्राप्त कर लोकमंगल की यात्रा करते हैं। जन्म, जरा, मरण रूपी अनन्त भवसागर में भटक रही आत्माओं के कल्याण के लिए वे धर्मतीर्थ की स्थापना करते हैं। लोक को आत्मकल्याण का मार्ग दिखाने से अरिहन्त अनन्त उपकारी हैं। इसीलिए इस सूत्र में उन्हें सर्वप्रथम नमस्कार किया गया है।
सिद्ध : जन्म-मरण के हेतुभूत चार घाती और चार अघाती-ऐसे आठों कर्मों का जिन्होंने क्षय करके सिद्ध, बुद्ध, मुक्त स्वरूप को साध लिया है तथा जो स्वाभाविक अनन्त आत्मिक सुख में सदैव विहार करते हैं उन्हें सिद्ध कहते हैं।
सिद्ध अशरीरी होते हैं। शुद्ध आत्मस्वरूपी होते हैं। समस्त पौद्गलिक आश्रयों / बन्धनों से मुक्त होते हैं। सांसारिक सुख पदार्थाश्रयी होता है जबकि सिद्धों का सुख आत्माश्रयी होता है। आत्माश्रयी होने से सिद्धों का सुख अनन्त, अव्याबाध एवं अक्षय होता है। सिद्धों ने आत्मा के परम श्रेय को प्राप्त कर लिया है। उनकी यह सिद्धि भव्य जीवों के लिए अप्रत्यक्ष प्रेरणा | सिद्धों को किया गया प्रणाम शुद्ध आत्मतत्व को किया गया प्रणाम है। इस प्रणाम से भव्य जीवों में आत्मगुणों को अनावृत्त करने का आध्यात्मिक उल्लास उत्पन्न होता है।
आचार्य : ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार एवं वीर्याचार का स्वयं पालन करने वाले एवं चतुर्विध श्रीसंघ से पंचाचार का पालन कराने वाले ऐसे जातिसंपन्न, कुलसंपन्न संघनायक आचार्य कहलाते हैं। संघ को रथ एवं आचार्य को उसका सारथि कहा गया है। स्वयं की साधना के साथ-साथ समग्र संघ की सारणा वारणा का अधिभार भी आचार्य अपने सबल स्कन्धों पर वहन करते हैं। ऐसे परम उपकारी आचार्य देव सहज ही नमस्कार के अधिकारी होते हैं।
आवश्यक सूत्र
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Ist Chp. : Samayik