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( 2 ) चलासन-बार-बार आसन बदलना या बैठे-बैठे अनावश्यक हिलते-डुलते रहना । ( 3 ) चलदृष्टि- अनावश्यक रूप से दाएं-बाएं देखना, आंखों को मचलाना आदि । (4) सावद्य क्रिया - सामायिक में पापजनक शारीरिक चेष्टाएं करना, बिना उपयोग से चलना-फिरना अथवा गृहकार्य करना ।
( 5 ) आलंबन - बिना किसी विशेष कारण (रोग, दुर्बलता, वार्द्धक्य) के दीवार का सहारा लेना। सहारा लेना पड़े तो दीवार आदि की प्रतिलेखना न करना ।
(6) आकुञ्चन-प्रसारण - अकारण ही अंगोपांगों को फैलाना, संकोचना आदि ।
(7) आलस्य - जंभाई लेना, अंगड़ाई तोड़ना आदि ।
( 8 ) मोड़न - हाथ-पैरों की अंगुलियों को चटकाना आदि ।
( १ ) मल-सामायिक में बैठे-बैठे शरीर का मैल उतारना, बिना उपयोग से खुजली करना।
( 10 ) विमासन-चिन्ताजनक ( कोहनी पर ठुड्डी रखकर) मुद्रा में बैठना।
( 11 ) निद्रा - सोना, ऊंघना आदि ।
( 12 ) वैयावृत्त्य - सामायिक में अंगोपांगों को दबवाना, मालिश आदि कराना । 'उपरोक्त बत्तीस दोषों से सावधान रहते हुए सामायिक की आराधना करनी चाहिए ।
TWELVE FAULTS OF BODY (PHYSICAL ACTIVITY)
(1) To sit keeping one foot on the other in a haughty manner (Ku-asan) To change the seat repeatedly or to move parts of the body unnecessarily while sitting (Chalasan)
(2)
(3)
I
To look around unnecessarily, to stare
To do undesirable physical movement while doing Samayik. To move about indiscriminately to do domestic activity during Samayik, (Swadya Kriya)
(5)
To Alamban: To take support of a wall in the absence of any special reasons (namely illness, weakness, old age). In case due to any special reason, one has to take support of the wall, he should first examine it thoroughly (to avoid violence to any living being)
(6)
To stretch the limbs of the body unnecessarily or to tighten them without
reason.
(7). To yawn.
श्रावक आवश्यक सूत्र
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Annexure