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________________ ............ .. .. Postakaleselesslesalenlesale skesicolasleeleshe sle sle sleelesska she slasheeleshsdeskskskeletestendesledeolesalelesesear के पाठ से वन्दन करके निवेदन करें-गुरु महाराज! सामायिक की आज्ञा प्रदान करें। यदि गुरु महाराज विराजमान न हों तो किसी सुज्ञ श्रावक या श्राविका से भी आज्ञा ली जा सकती है। श्रावक या श्राविका का भी योग न हो तो उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह करके भगवान् को वन्दन करके सामायिक की आज्ञा लें। उसके बाद अपने आसन पर बैठकर क्रमशः मार्गदोष निवृति सूत्र (इच्छाकारेण संदिसह) एवं उत्तरीकरण सूत्र (तस्स उत्तरीकरणेणं) का पाठ पढ़ें। उसके बाद सीधे खड़े होकर अथवा पदमासन में स्थिर होकर चतर्विंशति स्तव (लोगस्स का पाठ) का ध्यान करें। नमो अरिहंताण का पूरा पाठ पढ़ें। फिर 'नमो अरिहंताणं' पद का उच्चारण करते हुए ध्यान पूरा करें। एक लोगस्स खुला पढें। तत्पश्चात् गुरु महाराज के समीप जाकर तिक्खुत्तो के पाठ से वन्दन करके उनके श्रीमुख से सामायिक की प्रतिज्ञा अंगीकार करें। गुरु महाराज की अविद्यमानता में सुज्ञ श्रावक-श्राविका से सामायिक की प्रतिज्ञा ली जा सकती है। उनका भी सुयोग न हो तो करेमि भंते' के पाठ से स्वयं सामायिक की प्रतिज्ञा अंगीकार करें। यदि एक सामायिक करनी हो तो 'जाव नियम' इस पद के स्थान पर 'मुहूर्त एक घड़ी दो' कहें। दो सामायिक करनी हों तो 'मुहूर्त दो घड़ी चार' कहें। यदि अधिक सामायिक करने के भाव हों तो मुहूर्त और घड़ी की संख्या बढ़ा कर पाठ पढ़ना चाहिए। तत्पश्चात् दायां घुटना जमीन पर झुकाकर एवं बायां घुटना खड़ा रख कर दो बार नमोत्थुणं - का पाठ पढ़ें। इस प्रकार सामायिक में प्रवेश करके सामायिक के संपूर्ण समय में समता भाव की आराधना करनी चाहिए। सांसारिक हानि-लाभ की चिन्ता से सर्वथा मुक्त रहना चाहिए। संतों के व्याख्यान का संयोग हो तो व्याख्यान सुनें। अन्यथा आत्म-उपासना, धर्म साधना की पुस्तकें अथवा शास्त्रीय स्वाध्याय करते हुए सामायिक करें। स्वाध्याय के अतिरिक्त माला जप, शुभ ध्यान एवं आत्मचिन्तन भी सामायिक में किए जा सकते हैं। PROCEDURE OF SAMAYIK The sthanak (defined place of spiritual practices) is ideal for practice of samayik. In case there is no such place in the neighborhood, one should select a quiet clean place in his own house and after cleaning it with the holy broom (rejoharan), spread the cloth. He should dress himself in white sheet of cloth (cholapatta) and cover his body with white cloth (dupatta). He should then go to the spiritual master after covering his mouth with mouth-cloth. pgalessleakskskestatestastesakesekshradesdesdesdestrotesterskskskskskskskskskskskskskskstatested dakakakskskskskakakaksksksksk . ಕ परिशिष्ट // 264 // Shravak Avashyak Sutra Ea r amparaPEPARANTERPRETREATREPREPRENERATEERINKS
SR No.002489
Book TitleAgam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2012
Total Pages358
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size15 MB
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