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तृतीय आवश्यक : वन्दन Third Aavashyak: Vandan
विधि : गुरु महाराज को वन्दन करके वन्दन नामक तृतीय आवश्यक की आज्ञा लें। तत्पश्चात् 'इच्छामि खमासमणो' के पाठ का दो बार विधि सहित उच्चारण करें। (इच्छामि खमासमणो के पाठ और आराधना विधि के लिए देखें पृष्ठ 69-731)
Procedure: After bowing to the master (jain monk) one should seek permission, for third avashyak. Thereafter the aphorism of 'Ichhami Khamasamano..' should be recited twice. (For this lesson and procedure of its recitation see pp. 69-73).
तृतीय अध्ययन : वन्दन
॥ तृतीय आवश्यक संपूर्ण ॥
|| Third Aavashyak Concluded ||
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Shravak Avashyak Sutra
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