________________
कायोत्सर्ग आवश्यक
आवस्सही इच्छाकारेण संदिसह भगवं । देवसी प्रायश्चित्त विशोधनार्थं करेमि. काउसग्गं।
भावार्थ : हे भगवन्! आप आज्ञा प्रदान करें, मैं आवश्यक रूप से करणीय धर्मकृत्य करना चाहता हूं। दिवस संबंधी प्रायश्चित्त की विशुद्धि के लिए कायोत्सर्ग करता हूं।
विधि : तत्पश्चात् एक 'नमोकार मंत्र' पढ़े। उसके बाद क्रमशः 'करेमि भंते ' ' इच्छामि ठामि' एवं 'तस्स उत्तरी' का पाठ पढ़कर 'लोगस्स' के पाठ के चिन्तन सहित कायोत्सर्गध्यान करे। दैवसिक और रात्रि प्रतिक्रमण में चार, पक्खी को आठ चातुर्मासी को बारह एवं सम्वत्सरी को बीस लोगस्स का ध्यान करना चाहिए।
'नमो अरिहंताणं' कहकर ध्यान पूर्ण करे । उसके बाद वन्दन अध्ययन में कही गई के अनुसार दो बार 'इच्छामि खमासमणो' का पाठ पढ़कर पंचम आवश्यक को संपन्न करे ।
॥ पंचम अध्ययन (कायोत्सर्ग आवश्यक) समाप्त ॥
पंचम अध्ययन : कायोत्सर्ग
// 166 //
Avashyak Sutra