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वृद्धि हुई है। जिन क्षेत्रों में विज्ञान जहाँ आज भी जड़ें तलाश रहा है उन क्षेत्रों की समृद्ध हरियाली के वृत्त आगम-पृष्ठों पर देखकर पश्चिमी विद्वान हैरान हैं। इस पूरे यथार्थ का श्रेय श्रद्धेय गुरुदेव के उसी चिन्तन को जाता है जिसमें उन्होंने आगमों की चित्रांकित एवं सरल हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद की परिकल्पना की थी।
श्री आवश्यक सूत्र :
आगम साहित्य में आवश्यक सूत्र का प्रमुख स्थान है। इस सूत्र में श्रमण और श्रावक की साधना-शुद्धि के सूत्र संकलित हैं। जैन श्रमण या श्रावक का जीवन साधारण संन्यासियों या गृहस्थों के समान अनियमित नहीं होता है। नियमों और मर्यादाओं का भारी भार उसके स्कन्धों पर होता है। उठना बैठना, बोलना, सोना, जागना, खाना-पीना आदि उसकी समस्त क्रियाएं नियमबद्ध होती हैं। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह रूपी महान व्रतों का वह धारक होता है। इन महान व्रतों की सम्यक् रूपेण आराधना हेतु हजारों अन्य नियमोपनियमों को वह धारण करता है। समग्ररूपेण जागरूक रहकर वह इन नियमोपनियमों का पालन करता है। नियमों और मर्यादाओं की इस आराधना क्षणभर के लिए भी प्रमाद उत्पन्न हो जाये तो साधक अपने व्रतों से स्खलित हो जाता है। उसके नियम दूषित हो जाते हैं। दूषित मर्यादाओं के बल पर मोक्ष की यात्रा नहीं की जा सकती।
जैन श्रमण / श्रावक को अपनी मर्यादाओं से सघन लगाव होता है। उस द्वारा गृहीत व्रत और मर्यादायें दूषित न हों इसके लिए वह सतत सजग रहता है। काल के प्रभाव से अथवा पूर्वकृत कर्मों के उदय से कदाचित् व्रत - नियम दूषित भी हो जाते हैं । उठने-बैठने-बोलने-सोने आदि में असावधानी हो जाती है। उसी असावधानी अथवा प्रमाद से उत्पन्न दोषों की शुद्धि के लिए प्रस्तुत आवश्यक सूत्र का अनुसंधान किया गया है। इस सूत्र में साधक द्वारा गृहीत समस्त व्रतों, महाव्रतों और मर्यादाओं की शुद्धि के सूत्र संकलित किए गए हैं। साथ ही सर्वज्ञों ने यह विधान किया है कि साधक जब तक सिद्ध (केवली) नहीं हो जाता तब तक उसके लिए दोनों संध्याओं में इस सूत्र की आराधना करना अनिवार्य है।
वैदिकों में सन्ध्या, बौद्धों में उपासना, मुस्लिमों में नमाज, सिखों में अरदास और ईसाईयों में प्रार्थना का जो स्थान है श्रमण परम्परा में वही स्थान आवश्यक - आराधना का है। साधक के लिए अवश्य रूप से करणीय, आराधनीय होने से ही इस सूत्र को " आवश्यक सूत्र " कहा गया है। शेष सूत्रों की आराधना कदाचित् रह जाये, पर आवश्यक की आराधना साधक के लिए अनिवार्य है।
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