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पीटना अथवा वध कर देना), (14) याचना, (15) अलाभ, (16) रोग, (17) तृण-स्पर्श, (18) जल्ल-मल (शरीर पर धूल-पसीना आदि जमना), (19) सत्कार-पुरस्कार (पूजा-प्रतिष्ठा भी साधु के लिए परीषह है। उससे अहंकार के उत्पन्न होने की संभावना होती है।), (20) प्रज्ञा, (21) अज्ञान, एवं (22) दर्शन परीषह।
उपरोक्त प्रतिकूल-अनुकूल परीषहों में साधु को समताभाव धारण करना चाहिए।
सूत्रकृतांग-अध्ययन प्रतिक्रमण : सूत्रकृतांग सूत्र के दो श्रुतस्कंध हैं। प्रथम श्रुतस्कंध में सोलह एवं द्वितीय श्रुतस्कंध में सात अध्ययन हैं। प्रथम श्रुत-स्कंध के सोलह अध्ययनों के नाम 'गाथा षोडषक प्रतिक्रमण' में दिए जा चुके हैं। द्वितीय श्रुतस्कंध के सात अध्ययनों के नाम इस प्रकार हैं -
(1) पुण्डरीक, (2) क्रियास्थान, (3) आहार परिज्ञा, (4) प्रत्याख्यान क्रिया, (5) आचारश्रुत, (6) आर्द्रकुमार, (7) नालंदीय। पूर्वोक्त 16 एवं यहां प्रस्तुत 7 अध्ययनों में साध्वाचार का विशद वर्णन है। तदनुसार आचरण न करने से, विपरीत प्ररूपणा करने से जो दोष उत्पन्न होते हैं उनके निवारण के लिए 'सूत्रकृतांग-अध्ययन प्रतिक्रमण' किया जाता है।
देव प्रतिक्रमण : देवों की 24 जातियां हैं, जैसे कि-10 प्रकार के भवनपति देव, 8 प्रकार के वानव्यंतर देव, 5 प्रकार के ज्योतिषिक देव एवं एक प्रकार के वैमानिक देव। देवों के पास । भौतिक सुख-समृद्धि के अक्षय भण्डार हैं। साधक द्वारा उन सुखों की आकांक्षा करना अथवा 3 उन से घृणा करना, ये दोनों ही स्थितियों कर्म को उत्पन्न करने वाली हैं। दिव्य सुखों के प्रति
साधक निरपेक्ष भाव रखता है। कदाचित् उनके प्रति राग-द्वेष उत्पन्न हो तो वह 'देव-प्रतिक्रमण' के द्वारा आत्मशुद्धि कर लेता है।
कहीं-कहीं 24 प्रकार के देवों के स्थान पर 'देव प्रतिक्रमण' में 24 तीर्थंकरों का भी ग्रहण किया गया है। तदनुसार ऋषभदेव से महावीर पर्यंत चौबीस जिनदेवों की आशातना आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति के लिए 'देव प्रतिक्रमण' किया जाता है। . भावना प्रतिक्रमण : साधु के पांच महाव्रत हैं-(1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य, एवं (5) अपरिग्रह। इन पांच महाव्रतों की शुद्धि और सुरक्षा के लिए 25 भावनाओं की सम्यक् आराधना की जाती है। 25 भावनाओं का स्वरूप इस प्रकार हैअहिंसा महाव्रत की 5 भावनाएं
(1) ईर्यासमिति, (2) मनोगुप्ति, (3) वचनगुप्ति, (4) आलोकित पान-भोजन (अच्छी
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1. आचार्य शान्तिसूरि ने 24 तीर्थंकरों को ग्रहण किया है।
ಮಣಿಕರ್ಣಿ
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आवश्यक सूत्र aapar a
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