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________________ Bhakto (1) क्षमा-क्रोध को जीतकर सतत शान्तभावों को धारण करना । (2) मुक्ति - लोभ पर विजय प्राप्त कर संतोषभाव को धारण करना । (3) आर्जव - छल-कपट का त्याग कर सरलतापूर्वक जीना । (4) मार्दव - मान का मर्दन कर मृदुता को अंगीकार करना । (5) लाघव - लघुता अर्थात् हल्कापन । द्रव्य से वस्त्र - पात्र आदि उपधि तथा भाव से राग-द्वेष आदि के भार से मुक्त रहना । (6) सत्य-सदैव सत्य एवं मधुर वचनों का प्रयोग करना । (7) संयम- समस्त पापजनक प्रवृत्तियों का त्याग करना । ( 8 ) तप - बारह प्रकार के तपों की यथाशक्ति आराधना करना, अथवा इच्छाओं-आकांक्षाओं के निरोध में सतत प्रयत्नशील रहना । (9) त्याग - ममता - मूर्च्छा रूप आंतरिक एवं वस्त्र - पात्र आदि बाह्य परिग्रह का त्याग करना । (10) ब्रह्मचर्य - नौ बाड़ों सहित शुद्ध ब्रह्मचर्य की आराधना करना । उपरोक्त दस प्रकार के श्रमण-धर्म का यदि उल्लंघन हुआ है तो साधु प्रतिक्रमण द्वारा उत्पन्न दोषों की शुद्धि करता है। 'उपासक प्रतिमा प्रतिक्रमण : 'उपासक' शब्द का यहां श्रमणोपासक अर्थात् श्रावक के लिए व्यवहार हुआ है। प्रतिमा शब्द का अर्थ प्रतिज्ञा है । श्रमणोपासक की प्रतिज्ञा उपासक प्रतिमा कहलाती है। प्रतिमाओं की संख्या ग्यारह है जिन की आराधना में साढ़े पांच वर्ष का समय लगता है। प्रतिमाओं का स्वरूप इस प्रकार है (1) दर्शन प्रतिमा - इस प्रतिमा में अतिचार रहित शुद्ध सम्यक्त्व का पालन किया जाता है। इस प्रतिमा की अवधि एक मास की है। (2) व्रत प्रतिमा - इस प्रतिमा में श्रावक पांच अणुव्रतों एवं तीन गुणव्रतों की विशुद्ध आराधना करता है। इस प्रतिमा की अवधि दो मास की है। (3) सामायिक प्रतिमा - इस प्रतिमा में श्रावक सामायिक एवं देशावकाशिक व्रतों की निर्दोष आराधना करता है। यह प्रतिमा तीन मास की है। (4) पौषध प्रतिमा - इस प्रतिमा का आराधक श्रावक अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या को प्रतिपूर्ण पौषध करता है। यह प्रतिमा चार मास की है। (5) नियम प्रतिमा - प्रारंभिक चारों प्रतिमाओं का पालन करते हुए श्रावक प्रस्तुत प्रतिमा में दिन में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, रात्रि में मैथुन सेवन का परिमाण करता है, स्नान एवं आवश्यक सूत्र // 101 // IVth Chp. : Pratikraman
SR No.002489
Book TitleAgam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2012
Total Pages358
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size15 MB
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