SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बंधन, शल्य एवं ध्यान सूत्र दो प्रकार के बन्धन 2. द्वेष .राग गुरुदेव सदा इसको ही महत्व देते हैं। हमें पूछते भी नहीं। मैं इनसे नफरत करता है। यह मेरा प्रिय शिष्य है। मुझे इससे बहुत अनुराग है। तीन प्रकार के शल्य आज हम सब एक साथ पारणा करेंगे। यदि मैं पारणा नहीं करूंगा। चुपचाप अठाई कर लेता हूँ। मेरे तप का कोई फल मिले तो अगले जन्म में मैं भी ऐसा धनवान बनें। 2. निदान शल्य 1. माया शल्य 3. मिथ्यादर्शन शल्य चार प्रकार के ध्यान भगवान ही इस लोक को बनाने और मिटाने वाला है। 1. आत्तध्यान संयम पालने में कितना कष्ट होता हो 2. रौद्रध्यान 3. धर्म ध्यान यहाँ से तुरन्त बाहर निकलो, नहीं तो ठीक नहीं होगा। 4.शुक्ल ध्यान चित्र संख्या 10
SR No.002489
Book TitleAgam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2012
Total Pages358
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy