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वन्दन आवश्यक Vandan Avashyak (Salutation)
विधि : 'तिक्खुत्तो' के पाठ से गुरु महाराज को वन्दना करके 'वन्दन' नामक तृतीय आवश्यक की आज्ञा ली जाती है। तत्पश्चात् निम्नलिखित पाठ विधिपूर्वक पढ़ा जाता है
Vandan Avashyak (ESSENTIAL SALUTATION): Procedure. By bowing to the master reciting Tikhutto lesson, permission is sought for uttering the essential-titled Vandan. Thereafter the following lesson is recited in the manner as directed.
इच्छामि खमासमणो
इच्छामि खमासमणो! वंदिउं जावणिज्जाए, निस्सीहियाए अणुजाणह मे मि उग्गह निसीहि, अहो कायं कायसंफासं खमणिज्जो भे किलामो अप्पकिलंत्ताणं बहुसुभेणं देवसि वइक्कतो जत्ता भे जवणिज्जं च भे खामेमि खमासमणो! देवसि वइक्कमं, आवस्सियाए पडिक्कमामि। खमासमणो देवसियाए आसायणाए तेत्तीसण्णयराए जं किंचि मिच्छाए, मणदुक्कडाए, वयदुक्कडाए, कायदुक्कडाए कोहाए, माणाए, मायाए, लोभाए, सव्वकालियाए, सव्वमिच्छोवयाराए, सव्वधम्म - अइक्कमणाए, आसायणाए, जो मे देवसि अइयारो कओ, तस्स खमासमणो! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि।
भावार्थ : हे क्षमाश्रमण ! मैं अपने शरीर को यथाशक्ति पाप क्रियाओं से हटाकर आपको वन्दन करना चाहता हूं। इसलिए आप मुझे मितावग्रह (गुरुदेव जहां विराजमान हों, उनके चारों ओर की साढ़े तीन हाथ प्रमाण भूमि) में प्रवेश करने की आज्ञा प्रदान करें। (शिष्य के इस
IIIrd Chp. : Vandan
आवश्यक सूत्र
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To be a close shoot.