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चंदेसु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा । सागरवर-गंभीरा, सिद्धा सिद्धि मम दिसन्तु ॥ 7 ॥
(विशेष : इस पाठ का भावार्थ पृष्ठ 17-18 पर देखें । ) (Note: Explanation of this chapter see page 17-18.)
॥ द्वितीय अध्ययन (चतुर्विंशति - स्तव आवश्यक ) संपूर्ण ॥ || Second Chapter (Chaturvinshti - stav essential ) Concluded ||
द्वितीय अध्ययन : चतुर्विंशति - स्तव
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Avashyak Sutra
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