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अवराजिय विस्ससेणे वीसइमे होइ उसभसेणे य। दिण्णे वरदत्ते धणे बहु ले य आणुपुव्वीए।।२९।। एए विसुद्धलेसा जिणवर भत्तीइ पंजलिउडा उ।
तं कालं तं समयं पडिलाभेई जिणवरिंदे ।।३०।। जिन महापुरुषों ने इन चौबीस तीर्थंकरों को प्रथम बार भिक्षा दी उनकी नामावली इस प्रकार है-1. श्रेयान्स, 2. ब्रह्मदत्त, 3. सुरेन्द्रदत्त, 4. इन्द्रदत्त, 5. पद्म, 6. सोमदेव, 7. माहेन्द्र, 8. सोमदत्त, । 9. पुष्य, 10. पुनर्वसु, 11. पूर्णनन्द, 12. सुनन्द, 13. जय, 14. विजय, 15. धर्मसिंह, 16. सुमित्र, 17. वर्ग (वग्ग) सिंह, 18. अपराजित, 19. विश्वसेन, 20. वृषभसेन, 21. दत्त, 22. वरदत्त, 23. धनदत्त, 24. बहुल। ये नाम क्रमशः जानना चाहिए जिन्होंने चौबीस तीर्थंकरों को प्रथम बार आहार दान दिया। ये महापुरुष विशुद्ध लेश्या वाले थे जिन्होंने जिनवरों की भक्ति से प्रेरित होकर अंजलिपुट से उस काल और उस समय में जिनवरेन्द्र तीर्थंकरों को आहार का प्रतिलाभ कराया।।।27-30।।
The number of the great persons who have given alms to these twenty four Formakers (Tirthankars), at first, have been said twenty four as : 1. Shreyansh, 2. Brahamdutt, 3. Surender dut, 4. Inder Dutt, 5. Padam, 6. Somdev, 7. - Mahendra, 8. Somdutt, 9. Pushya, 10. Punarvasu, 11. Puranand, 12, Sunand, 13. Jay, 14. Vijay, 15. Dharam Singh, 16. Sumitra, 17. Vagg Singh, 18. Aprajit, 19. Vishav Sen, 20. Vrishabh Sen, 21. Dutt, 22. Vardutt, 23. Dhandutt, 24. Bahul. These names should be known respectively who donated food to twenty four Formakers (Tirthankars) respectively, at first. All these great men were of pure thought colour (leshya) who through the inspiration of the devotion of these Jinvara, made the Fordmakers to take food, then and there, from their hands. ६४४
संवच्छरेण भिक्खा [लद्धा उसभेण लोगणाहेण।
सेसेहिं बीयदिवसे लद्धाओ पढम भिक्खाओ।।३१।।] लोकनाथ भगवान ऋषभदेव को छोड़कर शेष तेईस तीर्थंकरों को, जो जितने भक्त के नियम के साथ दीक्षित हुए, उसके दूसरे दिन प्रथम भिक्षा प्राप्त हुई किन्तु भगवान ऋषभदेव को एक वर्ष के उपरान्त प्रथम भिक्षा प्राप्त हुई।।31।।
Apart from the Lord of the Cosmos Bhagwan Rishabh Dev, the remaining twenty three Fordmakers consecrated observing the fast for the days they required, got the alms on the next day of it. But Bhagwan Rishabh Dev got the alms after a gap of one year ||31||. ६४५ - उसभस्स पढम भिक्खा खोयरसो आसि लोगणाहस्स।
सेसाणं परमण्णं अमियरस रसोवमं आसि ।।३२।।
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महापुरुष
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Samvayang Sutra