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६०५- सीया य दव्व सारीर साया तह वेयणा भवे दुक्खा।
अब्भुवगमुवक्कमिया णीयाए चेव अणियाए।।१।। ___ वेदना के विषय में जो द्वार ज्ञातव्य हैं, वे इस प्रकार हैं। यथा-1. शीत, 2. द्रव्य, 3. शरीर, | 24. साता, 5. दु:खा, 6. आभ्युपगमिकी, 7. औपक्रमिकी, 8. निदा, 9. अनिदा।।1।।
___In respect of sufferings whatever is known is such as : 1. cold, 2. matter, 3. physical body, 4. pain. 5. Abhyupagamini, 6. Oapakarmiki, 7. slumber, 8. non-slumber.
६०६- नेरइया णं भंते! किं सीतं वेयणं वेयंति, उसिणं वेयणं वेयंति, सीतोसिणं वेयणं || वेयंति? गोयमा! नेरडया० एवं चेव वेयणापदं भाणियव्वं।
भगवन्! नारक कौनसी वेदना वेदन करते हैं-शीत वेदना, उष्ण वेदना या शीतोष्ण वेदना? गौतम! नारकी शीत वेदना वेदन करते हैं, इस प्रकार से वेदना पद कहना चाहिए।
O Lord ! Whichever suffering the hellish beings suffer, either suffering of cold or suffering of heat or suffering of cold and heat both?
Gautam ! The hellish beings suffer the sufferings of cold, thus the suffering verses should be said.
६०७-कइ णं भंते! लेसाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! छ लेसाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-किण्हा । नीला काऊ तेऊ पम्हा सुक्का। लेसापयं भाणियव्वं।
भगवन्! लेश्याओं की कितनी संख्या कही गई है?
गौतम! लेश्याएँ छह प्रकार की कही गई हैं। यथा-1. कृष्ण लेश्या, 2. नील लेश्या, 3. कापोत लेश्या, 4. तेजो लेश्या, 5. पद्म लेश्या, 6. शुक्ल लेश्या। इस प्रकार लेश्या पद कहना चाहिए।
O Lord ! How many number of the thought colouration (Leshyas) are said?
Gautam ! Thought colours (Leshyas) have been said of six types : 1. Dark thought colour, 2. Blue thought colour, 3. grey thought colour, 4. red thought colour, 5. yellow thought colour and 6. white thought colour. In this manner the thought colours should be said. ६०८- अणंतरा य आहारे आहार भोगणा इ य।
पोग्गला नेव जाणंति अज्झवसाणे य सम्मत्ते।।१।। आहार के सन्दर्भ में अनन्तर-आहारी, आभोग-आहारी, अनाभोग-आहारी, आहार-पुद्गलों के नहीं जानने-देखने वाले और जानने-देखने वाले आदि चतुर्भगी, प्रशस्त-अप्रशस्त, अध्यवसान वाले
और अप्रशस्त अध्यवसान वाले तथा सम्यक्त्व और मिथ्यात्व को प्राप्त जीव ज्ञातव्य हैं।।1।।
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विविध विषय
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Samvayang Sutra