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________________ said, propounded, expounded, instructed and shown in this canon. This one is the seventh canon. ५३९-से किं तं अंतगडदसाओ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं णगराई उजाणाई चेइयाई वणाइं (वणखण्डा) राया अम्मा-पियरो समोसरणा धम्मायरिया धम्मकहा इहलोइअपरलोइअ- + इड्डिविसेसा भोगपरिच्चाया पव्वजाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणाइं पडिमाओ बहुविहाओ खमा | अज्जवं महवं च सोअंच सच्चसहियं सत्तरसविहो य संजमो उत्तमं च बंभं आकिंचणया चियाओ समिइगुत्तीओ चेव। तह अप्पमायजोगो सज्झायज्झाणाण य उत्तमाणं दोण्हं पि लक्खणाई। पत्ताण य संजमुत्तमं जियपरीसहाणं चउव्विहकम्मक्खयम्मि जह केवलस्स लंभो परियाओ जत्तिओ य जह पालिओ मुणिहिं पायोवगयो य, जो जहिं जत्तियाणि भत्ताणि | छेअइत्ता अंतगडो मुनिवरो तमरयोघ विप्पमुक्को मोक्खसुहमणुत्तरं पत्ता। एए अन्ने य एवमाइअत्था वित्थरेणं परूवेई। द्वादशांग का अष्टम अंग अन्तकृद्दशा क्या है? इसमें क्या-क्या वर्णन है? ___ अन्तकृद्दशा में कर्मों का अन्त करने वाले महापुरुषों का वर्णन किया गया है। उन महापुरुषों के | १. नगर, २. उद्यान, ३. चैत्य, ४. वन खण्ड, ५. राजा, ६. माता-पिता, ७. समवसरण, ८. धर्माचार्य, / ९. धर्मकथा, १०. इहलौकिक-पारलौकिक ऋद्धि-विशेष, भोग परित्याग, ११. प्रव्रज्या, १२. श्रुत-परिग्रह, F/१३. तप-उपधान, १४. अनेक प्रकार की प्रतिमाएँ, १५. क्षमा, १६. आर्जव, १७. मार्दव, १८. सत्य, * || १९. शौच, २०. सत्तरह प्रकार का संयम, २१. उत्तम ब्रह्मचर्य, २२. आकिंचन्य, २३. तप, २४. त्याग, २५. समितियों, २६. गुप्लियों आदि का वर्णन है। अप्रमाद-योग तथा स्वाध्याय-ध्यान योग, इन दोनों | उत्तम मुक्ति-साधनों का स्वरूप, उत्तम संयम को प्राप्त करके परीषहों को सहन करने वालों को चारप्रकार के घातिकर्मों के क्षय होने पर जिस प्रकार केवलज्ञान का लाभ हुआ, जितने काल तक श्रमण पर्याय और केवलि-पर्याय का पालन किया, जिन मुनियों ने जहाँ पादपोपगम-संन्यास किया, जो जहाँ जितने भक्तों का छेदन कर अन्तकृत् मुनिवर अज्ञानान्धकार रूप रज के पुंज से विप्रमुक्त हो अनुत्तर मोक्ष-सुख को प्राप्त हुए, उनका और इसी प्रकार के अन्य अनेक अर्थों का इस अंग में सविस्तार प्ररूपण | किया गया है। - What the eighth canon of twelve canons “Antkrit Dasha" is? What is narrated in it? In Antkrit Dasha the description of the great persons destroyer of all their accumulated Karmas has been done as :- 1. The cities of Karma destroyer (great | persons), 2. Gardens, 3. Chaitya, 4. Forests, 5. Kings, 6. Parents (Mother & Father), 7. Religious assembly, 8. Preceptors, 9. Religious discourse, 10. Extraordinary wealth and powers pertaining to this world and metaphysical world, समवायांग सूत्र Ganipittak % %%%% % %% % %% %%% %% % % %% % % %% %% %% % %%% % % % _271
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
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