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________________ 55555555%%%% % %%%% %%步步为55%%%%%%% 20 प्रकाशकीय । 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F听听听听听听听听听听听听听听 "सचित्र समवायांग सूत्र" उत्तरभारतीय प्रवर्तक श्रुताचार्य गुरुदेव श्री अमरमुनि जी महाराज के संपादकत्व में प्रकाशित होने वाला "पद्म प्रकाशन" का पच्चीसवां आगम पुष्प है। विगत वर्ष दिसम्बर महीने में चौबीसवें आगम पुष्प के रूप में "सचित्र आवश्यक सूत्र" का प्रकाशन संपन्न हुआ था। अतीव खेद का विषय है कि आराध्य गुरुदेव पूज्य प्रवर्तक श्री जी स्वरचित इस आगम पुष्प को मुमुक्षु पाठक वर्ग को अपने करकमलों द्वारा अर्पित नहीं कर पाये। दिनांक १३.०२.१३ को गुरुदेव स्वर्ग सिधार गए। उनके इस प्रकार अदृश्य में विलीन होने से समग्र जैन जगत आहत है। परंतु यह संतोष का विषय है कि श्रद्धेय गुरुदेव ने अपने करकमलों द्वारा सचित्र बत्तीसी को एक स्वरूप दिया है। आराध्य गुरुदेव के अदृष्ट आशीष से हम उन द्वारा संकल्पित - रचित इस श्रुतयज्ञ को संपन्न करने में सफल होंगे ऐसा हमारा सुदृढ़ विश्वास है। श्रद्धेय श्रुताचार्य श्री के शिष्य सत्तम श्रुतनिष्ठ युवामनीषी श्री वरुण मुनि जी महाराज की जंबूजिज्ञासा भी हृदय को आंदोलित करने वाली है। आगम-संपादन-प्रकाशन कार्य में इनकी तत्परता समकालीन युवा मुनियों की पंक्ति में इन्हें सबसे अग्रिम पायदान पर प्रतिष्ठित करती है। अनन्य श्रुतनिष्ठ शिष्य सत्तम श्री वरुण मुनि जी म. के निर्देशन-संपादन में सूत्रकृतांग, प्रज्ञापना एवं निशीथ सूत्र का कार्य भी द्रुत गति से प्रगतिमान है। श्रद्धेय गुरुदेव की पावन प्रेरणा से प्रतिष्ठित "पद्म प्रकाशन" इस आगम प्रकाशन अभियान में पूर्णतः समर्पण भाव से संलग्न है। हमारे इस समर्पण का | सारा श्रेय भी स्व. आराध्य गुरुराज को ही है। -महेन्द्र जैन अध्यक्ष : पद्म प्रकाशन पद्म धाम, नरेला मण्डी (दिल्ली) 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 // v //
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
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