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इस रत्नप्रभा पृथ्वी में पन्द्रह पल्योपम वाली स्थिति के कितने ही नारक कहे गए हैं। पाँचवीं धूमप्रभा पृथ्वी में पन्द्रह सागरोपम वाली स्थिति के कितने ही नारकों का उल्लेख है। कितने ही असुरकुमार देवों F की स्थिति भी पन्द्रह पल्योपम कही गई है। सौधर्म, ईशान कल्पों में कितने ही देवों की स्थिति पन्द्रह | पल्योपम कही गई है।
In the Ratanprabha hell the hellish being have been said of fifteen Palyopama life duration. In the fifth hell named Dhuma Prabha, there is a description of the infernal beings of the life duration of fifteen Sagropama. The life span of the malevolent demons has been said of fifteen Palyopama. In the Sodharma and Ishan kalpa the age duration of the celestial beings has been told of fifteen Palyopama.
१०९-महासुक्के कप्पे अत्थेगइआणं देवाणं पन्नरस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा , णंदं सुणंदं णंदावत्तं णंदप्पभं णंदकंतं णंदवण्णं णंदलेसं णंदज्झयं णंदसिंगं णंदसिटुं णंदकूडं - णंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं पन्नरस सागरोवमाइं ठिई । पण्णत्ता। ते णं देवा पण्णरसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा। तेसि णं देवाण पण्णरसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ।
संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा जे पण्णरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति।
महाशुक्र कल्प के कितने ही देव पन्द्रह सागरोपम स्थिति के कहे गए हैं। वे देव विशिष्ट विमानों 7 में देवरूप से उत्पन्न होते हैं। इन विशिष्ट विमानों की संख्या बारह है। यथा -१. नन्द विमान. २.
सुनन्द विमान, ३. नन्दावर्त विमान, ४. नन्दप्रभ विमान, ५. नन्दकान्त विमान, ६. नन्दवर्ण विमान, ७.
नन्दलेश्य विमान, ८. नन्दध्वज विमान, ९. नन्दशृंग विमान, १०. नन्दसृष्ट विमान, ११. नन्दकूट विमान, | १२. नन्दोत्तरावतंसक विमान । वे देव पन्द्रह सागरोपम उत्कृष्ट स्थिति वाले होते हैं। वे देव पन्द्रह अर्धमासों | (साढ़े सात मासों) के अन्तराल से उच्छ्वास व निःश्वास तथा आन व प्राण की क्रिया करते हैं। वे IF देव पन्द्रह हजार वर्षों के उपरान्त आहार की इच्छा करते हैं।
कितनेक भव्य सिद्धिक जीव हैं जो पन्द्रह भव (पन्द्रह बार जन्म) ग्रहण करेंगे। उसके बाद वे | जीव सिद्ध-बुद्ध होंगे। वे जीव कर्मों से मुक्ति पाकर परमनिर्वाण को प्राप्त होंगे। वे जीव अन्ततोगत्वा समस्त दु:खों का शमन (अन्त) करेंगे।
Life of the span celestial beings of Mahashukra kalpa has beensaid of fifteen Sagropama. The celestial beings of these vehicles take birth in the unique | celestial vehicles. Thenumber of these exclusive vehicles are twelve. They are: 1. Devanand Viman, 2. Sunand Viman, 3. Nandavart Viman, 4. Nand-prabh
पंद्रहवां समवाय
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Samvayang Sutra