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________________ ३३१ द्वादशाङ्ग-परिचय अर्थपद ये तीनों पद सम्भव है, मंत्र विद्या से सम्बन्ध रखते हों; कोश से भी इनका सम्बन्ध ऐसा ही प्रतीत होता है । इसी प्रकार राशिबद्ध, एकगुण, द्विगुण, त्रिगुण, ये तीन पद सम्भव हैं गणित विद्या से. सम्बन्ध रखते हों, ऐसा निश्चय होता है। दृष्टिवाद सर्वथा व्यवच्छिन्न हो जाने से इसके विषय में और कुछ नहीं कहा जा सकता, तत्त्वकेवली गम्य है। . २. मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म मूलम्-से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे ? मणुस्ससेणियापरिकम्मे चउदसविहे पण्णत्ते, तंजहा १. माउयापयाइं, २. एगट्टिअपयाई, ३. अट्टापयाई, ४. पाढोग्रागा (मा) सपयाई, ५. केउभूग्रं, ६. रासिबद्धं, ७. एगगुणं, ८. दुगुणं, ६. तिगुणं, १० केउ अं, ११. पडिग्गहो, १२. संसारपडिग्गहो, १३. नंदावत्तं, १४. मणुस्सावत्तं, से तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे । छाया-अथ किं तन्मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म ? मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म चतुर्दशविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा १. मातृकापदानि, २. एकार्थकपदानि, ३. अर्थपदानि, ४. पृथगाकाशपदानि, ५. केतुभूतम्, ६. राशिबद्धम्, ७. एकगुणम्, ८. द्विगुणम्, ६. त्रिगुणम्, १०. केतुभूतम्, ११. प्रतिग्रहः, १२. संसारप्रतिग्रहः, १३. नन्दावर्त्तम्, १४. मनुष्यावर्त्तम् तदेतन्मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म। भावार्थ-वह मनुष्यश्रेणिका परिकर्म कितने प्रकार का है ? मनुष्य श्रेणिका परिकर्म १४ प्रकार का प्रतिपादन किया है, जैसे ___१. मातृकापद, २. एकार्थकपद. ३. अर्थपद, ४. पृथगाकाशपद, ५. केतुभूत, ६ राशिबद्ध, ७. एकगुण, ८. दोगुण, ६. त्रिगुण, १०. केतुभूत, ११. प्रतिग्रह, १२. संसारप्रतिग्रह, १३. नन्दावर्त, १४. मनुष्यावर्त । इस प्रकार मनुष्यश्रेणिका परिकर्म है। टीका-इस सूत्र में मनुष्यश्रेणिका परिकर्म का वर्णन किया गया है। संभव है, इसमें जनगणना भव्य-अभव्य, परित्तसंसारी अनन्तसंसारी, चरमशरीरी और अचरमशरीरी, चारों गति से आनेवाली मनुष्य श्रेणि, सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और मिश्रदृष्टि, मनुष्यश्रेणिका । आराधक-विराधक मनुष्य श्रेणिका । स्त्री, पुरुष, नपुंसक, मनुष्यश्रेणिका । गर्भज, सम्मूछिम मनुष्य श्रेणिका । पर्याप्तक, अपर्याप्तक मनुष्यश्रेणिका । संयत, असंयत, संयतासंयत मनुष्यश्रेणिका, उपशमश्रेणि तथा क्षपक श्रेणिवाले मनुष्यश्रेणिका का सविस्तर वर्णन हो।
SR No.002487
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAcharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size16 MB
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