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________________ द्वादशाङ्ग-परिचय हैं। इसी प्रकार सभी उत्तर महावीर के दिए हुए नहीं हैं, गौतम आदि मुनिवरों के दिए हुए भी हैं। कहीं २ श्रावकों के द्वारा दिए हुए उत्तर भी हैं। यह सूत्र आज के युग में अन्य सूत्रों से विशालकाय है। इसमें पण्णवणा, जीवाभिगम, उववाई, राजप्रशनीय आवश्यक. नन्दी और जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्रों के नामोल्लेख भी किए हुए हैं । तथा इन सूत्रों के उद्धरण दिए हैं। इससे प्रतीत होता है कि व्याख्याप्रज्ञप्ति का संकलन बहुत पीछे हुआ है । अतः पाठकों को जिन सूत्रों के उद्धरण दिए हुए हैं, उनका अध्ययन पहले करना चाहिए ताकि पढ़ने और समझने में सुविधा रहे । इसमें सैद्धान्तिक, ऐतिहासिक, द्रव्यानुयोग और चरण-करणानुयोग की सविशेष व्याख्या है। इसमें बहुत से ऐसे विषय हैं जो उस सूत्र के विशेषज्ञों से समझने वाले हैं। स्वयमेव समझने से कठिनता प्रतीत होती है और अध्येता को प्रायः भ्रांति व संदेह .. उत्पन्न हो जाता है । इस प्रकार व्याख्योप्रज्ञप्ति का संक्षिप्त परिचय समाप्त हुआ ॥सूत्र ५०॥ ६. श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र • मूलम्-से किं तं नायाधम्मकहानो ? नायाधम्मकहासु णं नायाणं नगराइं, उज्जाणाइं चेइग्राइं, वणसंडाई, समोसरणाइं, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया धम्मकहानो, इहलोइयपरलोइया इड्डिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जाओ, परिआया, सुअपरिग्गहा, तवोवहाणाई, संलेहणायो, भत्तपच्चखाणाई पापोवगमणाई देवलोगगमणाई, सुकुलपच्चायाईप्रो, पुणबोहिलाभा, अंतकिरियानो अाघविज्जति । ___ दस धर्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्म कहाए पंच-पंच अक्खाइमा सयाइं, एगमेगाए अक्खाइमाए पंच-पंच उवक्खाइमा सयाइ, एगमेगाए उवक्खाइआए पंच-पंचअक्खाइ-उवक्खाइमा सयाइ, एवमेव सपुव्वावरेणं अट्ठारो कहाणगकोडीओ हवंति त्ति समक्खायं ।। __नायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुप्रोगदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा सिलोगा, संखिज्जानो निज्जुत्तीपो, संखिज्जाप्रो संगहणीप्रो, संखेज्जागो पडिवत्तीयो। ___ से णं अंगट्ठयाए छट्ठ अंगे, दो सुअक्खंधा, एगूणवीसं अज्झयणा, एगूणवीसं उद्देसणकाला, एगुणवीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कडनिबद्ध-निकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति, पन्नविज्जति, परूविज्जंति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति ।
SR No.002487
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAcharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size16 MB
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