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by न हो तब तक स्वाध्याय न करना चाहिए। अथवा जब तक दूसरा अधिकारी सत्तारूढ़ न हो तब तक शनैःशनैः
स्वाध्याय करना चाहिए।
१६. राजव्युद्ग्रह- समीपस्थ राजाओं में परस्पर युद्व होने पर जब तक शांति न हो जाए, तब तक उसके पश्चात् भी एक दिन-रात्रि तक स्वाध्याय नहीं करें।
२०. औदारिक शरीर- उपाश्रय के भीतर पंचेन्द्रिय जीव का वध हो जाने पर जब तक वह कलेवर पड़ा रहे, तब तक तथा १०० हाथ तक यदि निर्जीव कलेवर पड़ा हो तो स्वाध्याय नहीं करना चाहिए।
अस्वाध्याय के उपरोक्त १० कारण औदोरिक शरीर संबन्धी कहे गए हैं।
२१-२८, चार महोत्सव और चार महाप्रतिपदा- आषाढ़ पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र पूर्णिमा, ये चार महोत्सव हैं। इन पूर्णिमाओं के पश्चात् आने वाली प्रतिपदा को महाप्रतिपदा कहते हैं। इनमें स्वाध्याय करने का निषेध हैं।
२६-३२, प्रातः, प्रातः, सांय, मध्यान्ह और अर्धरात्रि-प्रातः सूर्य उगने से एक घड़ी पहिले तथा एक घड़ी पीछे। सूर्यास्त होने से एक घड़ी पहिले तथा एक एक घड़ी पीछे। मध्यान्ह अर्थात् दोपहर में एक घड़ी आगे और एक पीछे एवं अर्धरात्रि में की एक घड़ी पहिले तथा एक घड़ी पीछे स्वाध्याय नहीं करना चाहिए।