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उपकरण प्रयुक्त आहार-आधाकर्मादि दोषयुक्त आहार से लिप्त चम्मच आदि से दिया जाने वाला निर्दोष आहार पर भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है।
२. उपधि-पूतिकर्म-गृहस्थ द्वारा आधाकर्मादि दोषयुक्त धागे से निर्दोष वस्त्र की सिलाई से करने पर या थेगली लगाने पर वह निर्दोष वस्त्र भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है।
गृहस्थ द्वारा आधाकर्मादि दोषयुक्त टिकड़ी लगाने से अथवा बन्धन लगाने से निर्दोष पात्र भी पूतिकर्म-दोषयुक्त और हो जाता है।
३. शय्या-पूतिकर्म-निर्दोष शय्या के किसी भी विभाग में आधाकर्मादि दोषयुक्त बाँस और काष्ठ आदि का उपयोग हुआ हो तो वह शय्या भी पूतिकर्म-दोषयुक्त हो जाती है।
पूतिकर्म दोष वाला आहार भी शुद्ध आहार में मिल जाये तो भी पूतिकर्म दोषयुक्त हो जाता है। तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं। इन उपर्युक्त ५८ सूत्रों में कहे गये किसी भी प्रायश्चित्त के सेवन करने वाले को गुरुमासिक प्रायश्चित्त आता परे
___Comments-The commentator has mentioned three types of "Putikaram faults1. Food putikarma, 2. Updhikarama, and 3. Bedputikarama.
1. Foodputikarma are of two types-1. The food purified by contaminated objects, 2. The food made by polluted implements.
2. Upadhiputikarama-The stiching of a faultless cloth with the contaminated thread by the householder or patches the cloth is called fault of “Putrkarama". .
The pure utensil becomes “Putrikarama faulty" fixing with the defected patches or graft by a householder.
3. Bedding putikarama-If the defected bamboo or piece of wood have been. रे used in any part of the defectless bed then the bed becomes "Putikarma Faulty.
Being mixed the impure food into the pure food it becomes a 'Putikarama Dos'. Tam sevamane Avajjai Masiyam pariharattanam Anugghaiyam..
The one who observes any of the above mentioned expiations narrated in sutra no. 58 a Gurumasik atonement comes to him.
विवेचन-अंतिम सूत्र के साथ अथवा अंत में इस सूत्र की व्याख्या प्रायः नहीं मिलती है।
मूल पाठ में प्रायः सभी प्रतियों में अंतिम सूत्र के साथ इस पाठ को रखा गया है। इस विषय की विशेष प्रार जानकारी के लिये प्रथम सूत्र का विवेचन देखें।
सूत्र में परिहारट्ठणं' शब्द केवल सामान्य प्रायश्चित्त अर्थ में प्रयुक्त है। इसी प्रकार अन्य उद्देशकों में भी 'मासिक' और चातुर्मासिक शब्द के साथ इसी अर्थ में समझ लेना चाहिए, किन्तु विशेष के परिहारतप रूप प्रायश्चित्त के अर्थ में नहीं समझना चाहिए।
Elaboration-Explanation of this last aphorism is generally not available along with or at the end of this last paragraph (sutra).
निशीथ सूत्र
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Nishith Sutra