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सूत्र 1-7
सूत्र 8
सूत्र 9-10
सूत्र 11-12 सूत्र 13 सूत्र 14 सूत्र 15 सूत्र 16 सूत्र 17 सूत्र 18-21
उन्नीसवें उद्देशक का सारांश THE SUMMARY OF NINETEENTH CHAPTER औषध के लिए क्रीत आदि दोष लगाना, विशिष्ट औषध की तीन मात्रा (खुराक) से सर अधिक लाना, औषध को विहार में साथ रखना तथा औषध के परिकर्म सम्बन्धी दोषों का सेवन करना। चार संध्या में स्वाध्याय करना। कालिकसूत्र की 9 गाथा एवं दृष्टिवाद की 21 गाथाओं से ज्यादा पाठ का अस्वाध्याय काल में (अर्थात् उत्काल में) उच्चारण करना। चार महामहोत्सव एवं उनके बाद की चार महाप्रतिपदा के दिन स्वाध्याय करना। कालिकसूत्र का स्वाध्याय करने के चार प्रहरों को स्वाध्याय किए बिना ही व्यतीत करना। 32 प्रकार के अस्वाध्याय के समय स्वाध्याय करना। अपने शारीरिक अस्वाध्याय के समय स्वाध्याय करना। सूत्रों की वाचना आगमोक्त क्रम से न देना। आचारांग सूत्र की वाचना पूर्ण किए बिना छेदसूत्र या दृष्टिवाद की वाचना देना। अपात्र को वाचना देना और पात्र को न देना, अव्यक्त को वाचना देना और व्यक्त को सो वाचना न देना। समान योग्यता वालों को वाचना देने में पक्षपात करना। आचार्य उपाध्याय द्वारा वाचना दिए बिना स्वयं वाचना करना। मिथ्यात्व भावित गृहस्थ एवं अन्यमती को वाचना देना एवं उनसे लेना। पार्श्वस्थादि को वाचना देना एवं उनसे लेना। इत्यादि प्रवृत्तियों का लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है। The faults of purchasing the medicines, to accept more than three doses of medicine for a chronic disease, to carry the drugs during travelling and the guilt of curing by medicine. To do “Swadhayaya" during of four junctures of time. To recite more than nine verses of kaalika sutra and more than twenty one of "Drishtivad" at the time of "Aswadhayaya". To do "Swadhayaya" on days of four great festivals and on the following four days called Pratipada. To spend the four quarter (Indian time) fixed for the "Swadhayaya" of Kaalika sutra, without “Swadhayaya". To do Swadhayaya at the time of thirty two “Aswadhayaya” periods.
सूत्र 22 सूत्र 23 सूत्र 24-25 सूत्र 26-35
Sutra 1-7
Sutra 8 Sutra 9-10
Sutra 11-12
Sutra 13
Sutra 14
निशीथ सूत्र
(334)
Nishith Sutra