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________________ During these four junctures the reading, preaching, study of the original text of the Agamas should not be done. Because of studying, the activity of transgression of knowledge (Akaale Kaou Sajjhaou) become applicable and the other faults may also occur. The law of laghu-Chaumasi expiations affects here according to the scriptures. उत्काल में कालिकत की मर्यादा-उल्लंघन का प्रायश्चित्त THE REPENTANCE OF CROSSING THE TIME LIMIT OF TIME BOUND SCRIPTURE TO BE STUDIED IN PROHIBITED LIVE १. जे भिक्खू कालियसुयस्स परं तिण्हं पुच्छाणं पुच्छइ, पुच्छंतं वा साइज्जइ। 10. जे भिक्खू दिट्ठिवायस्स परं सत्तण्हं पुच्छाणं पुच्छइ, पुच्छंतं वा साइज्जइ। 9. जो भिक्षु कालिकश्रुत की तीन पृच्छाओं से अधिक पृच्छाएँ अकाल में पूछता है अथवा पूछने वाले का समर्थन करता है। 10. जो भिक्षु दृष्टिवाद की सात पृच्छाओं से अधिक पृच्छाएँ अकाल में पूछता है या पूछने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who asks more than three questions of time bounded sutras in “prohibited period" or supports the ones who does so. 10. The ascetic who asks more than seven questions of the twelfth Agama named "Drishtrivad" in un-appropriate time or supports the ones who does so, a laghuchaumasi expiation comes to him. विवेचन-कालिकत के लिए दिवस और रात्रि का प्रथम एवं अन्तिम प्रहर स्वाध्याय का काल है तथा * दूसरा तीसरा प्रहर उत्काल है। अतः उत्काल के समय कालिकश्रुत का स्वाध्याय नहीं किया जाता है किन्तु नया रे अध्ययन कंठस्थ करने आदि की अपेक्षा से यहाँ कुछ अपवादिक मर्यादा बतलाई गई है, जिसमें दृष्टिवाद के लिए घर सात पृच्छाओं का और अन्य कालिकश्रुत आचारांग आदि के लिए तीन पृच्छाओं का विधान किया है। घर तिहिं सिलोरोहिंएगा पुच्छा, तिहिं पुच्छाहिणव सिलोगा भवंति एवं कालियसुयस्स एगतरं। दिट्ठिवाए र सत्तसु पुच्छासु एगवीसं सिलोगा भवंति। ___-चूर्णि भा. गा. 6061 1 तीन श्लोकों की एक पृच्छा होती है, तीन पृच्छा से 9 श्लोक होते हैं। ये प्रत्येक कालिक सूत्र के लिए है। रे दृष्टिवाद के लिए पृच्छाओं के 21 श्लोक होते हैं। अर्थात् दृष्टिवाद के 21 श्लोक प्रमाण और अन्य कालिकश्रुत के र १ श्लोक प्रमाण पाठ का उच्चारण आदि उत्काल में किया जा सकता है। “पृच्छा" शब्द का सामान्य अर्थ प्रश्नोत्तर से करना होता है। किन्तु प्रश्नोत्तर के लिए स्वाध्याय या अस्वाध्याय काल का कोई प्रश्न ही नहीं होता है। अतः यहाँ इस प्रकरण में यह अर्थ प्रासंगिक नहीं है। उपलब्ध 32 आगमों में 9 सूत्र उत्कालिक हैं, यथा- . 1. उववाई सूत्र, 2. रायपसेणिय सूत्र, 3. जीवाजीवाभिगम सूत्र, 4. प्रज्ञापना सूत्र, 5. सूर्यप्रज्ञप्ति में सूत्र, 6. दशवैकालिक सूत्र, 7. नन्दी सूत्र, 8. अनुयोगद्वार सूत्र, 9. आवश्यक सूत्र। शेष ग्यारह अंग आदि । 23 आगम कालिक सूत्र हैं। निशीथ सूत्र (322) __ Nishith Sutra Nishith Sutra | F
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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