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________________ पटे 29. जे भिक्खू थलगओ णावागयस्स असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहेइ, र पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 12 30. जेभिक्खू थलगओजलगयस्सअसणंवा, पाणंवा,खाइमंवा, साइमंवा पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। रे 31. जेभिक्खू थलगओ पंकगयस्स असणंवा, पाणं वा,खाइमंवा, साइमंवा पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 32. जेभिक्खूथलगओ थलगयस्स असणंवा, पाणंवा,खाइमंवा, साइमंवा पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। - 1. जो भिक्षु बिना प्रयोजन नाव पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। 2. जो भिक्षु नाव खरीदता है, खरीदवाता है या खरीदी हुई नाव दे तो उस पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। जो भिक्षु नाव उधार लेता है, उधार लिवाता है या उधार ली हुई नाव दे तो उस पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। जो भिक्षु नाव को अदल-बदल करता है, करवाता है और अदल-बदल की हुई नाव दे तो उस पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। 5. जो भिक्षु छीनकर ली हुई, थोड़े समय के लिए लाकर दी हुई और सामने लाई गई नाव पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। 6. जो भिक्षु स्थल से नाव को जल में उतरवाता है अथवा उतरवाने वाले का समर्थन करता है। 47. जो भिक्षु जल से नाव को स्थल पर रखवाता है अथवा रखवाने वाले का समर्थन करता है। 8. जो भिक्षु पानी से पूर्ण भरी नाव को खाली करवाता है अथवा खाली करवाने वाले का समर्थन करता है। 9. जो भिक्षु कीचड़ में फंसी नाव को निकलवाता है अथवा निकलवाने वाले का समर्थन करता है। - 10. जो भिक्षु प्रतिनाव करके नाव में बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। सर 11. जो भिक्षु ऊर्ध्वगामिनी नाव पर या अधोगामिनी नाव पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। 4K 12. जो भिक्षु एक योजन से अधिक प्रवाह में जाने वाली या अर्धयोजन से अधिक प्रवाह में जाने १ वाली नाव पर बैठता है अथवा बैठने वाले का समर्थन करता है। 12 13. जो भिक्षु नाव को ऊपर की ओर (किनारे) खींचता है, नीचे की ओर (जल में) खींचता है, लंगर डालकर बाँधता है या रस्सी से कसकर बाँधता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है। अठारहवाँ उद्देशक (311) Eighteenth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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