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________________ विवेचन-भिक्षु यदि गृहस्थ से शारीरिक परिचर्या कराये तो उसे सूत्रोक्त प्रायश्चित्त आता है। यहाँ 54 र सूत्रों का विवेचन तीसरे उद्देशक के समान समझें। 1 Comments-The entire statement should be discerned vide sutra No. 16 to 69 of chapter third i.e. the ascetic who gets his head covered while going from one village to another from a householder or non-believer, or supports the ones who gets to be covered so, a laghu-chaumsi expiation comes to him. AK अकल्पनीय स्थानों पर मल-मूत्र-परिष्ठापन का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF RELIEVING EXCRETA AND URINE AT PROHIBITED SITES १- 67. जे भिक्खू आगंतागारंसि वा, आरामागारंसि वा, गाहावइकुलसि वा, परियावसहंसि वा उच्चार-पासवणं परिठ्ठवेइ परिठ्ठवेंतं वा साइज्जइ। 1 68. जे भिक्खू उज्जाणसिवा, उज्जाणगिर्हसिवा, उज्ज़ाणसालसिवा,निज्जाणसिवा,निज्जाणगिर्हसि वा, निज्जाणसालंसि वा उच्चार-पासवणं परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ। 69. जे भिक्खू असि वा, अट्टालयंसिवा, चरियसि वा, पागारंसिवा, दारंसि वा, गोपुरंसि वा - उच्चार-पासवणं परिठ्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ। 70. जेभिक्खूदगमगंसिवा, दगपहंसिवा, दगतीरंसिवा दगट्ठाणसिवा उच्चार-पासवणंपरिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ। 71. जेभिक्खू सुन्नगिर्हसि वा, सुन्नसालंसि वा, भिन्नगिर्हसि वा, भिन्नसालसि वा, कूडागारंसिवा, कोट्ठागारंसि वा उच्चार-पासवणं परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ। 72. जे भिक्खू तणगिहंसि वा, तणसालंसि वा, तुसगिर्हसि वा, तुससालंसि वा, भुसगिर्हसि वा, भूससालसि वा उच्चार-पासवणं परिट्ठवेइ परिठ्ठवेंतं वा साइज्जइ। 73. जेभिक्खू जाणसालसिवा, जाणगिर्हसि वा, वाहणगिर्हसि वा, वाहणसालसिवा उच्चार-पासवणं ___परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ।। 74. जेभिक्खूपणियसालसिवा,पणियगिर्हसिवा, परियासालसिवा, परियागिहसि वा, कुवियसालंसि वा, कुवियगिहंसि वा उच्चार-पासवणं परिठ्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ। 75. जे भिक्खू गोणसालसि वा, गोणगिर्हसि वा, महाकुलंसि वा, महागिर्हसि वा उच्चार-पासवणं परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ। 567. जो भिक्षु धर्मशाला में, उद्यान में, गाथापतिकुल में या परिव्राजक के आश्रम में मल-मूत्र का परित्याग करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। पर 68. जो भिक्षु उद्यान में, उद्यानगृह में, उद्यानशाला में, नगर के बाहर बने हुए स्थान में, नगर के बाहर घरे बने हुए घर में, नगर के बाहर बनी हुई शाला में मल-मूत्र का परित्याग करता है अथवा करने घर वाले का समर्थन करता है। पन्द्रहवाँ उद्देशक (261) Fifteenth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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