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पन्द्रहवाँ उद्देशक THE FIFTEENTH CHAPTER
uerfach INTRODUCTION
प्रस्तुत उद्देशक में सामान्य श्रमणों की आसातना करने, सचित्त आम्र, आम्रपेशी आदि खाने, और सर गृहस्थ से परिकर्म करवाने, अकल्पनीय स्थानों में मल-मूत्र परठने, पार्श्वस्थ आदि को आहार, वस्त्र रे
आदि देने एवं उनसे लेने, विभूषा की दृष्टि से शरीर का परिकर्म करने, विभूषा की दृष्टि से वस्त्रादि घटे * का परिमार्जन प्रक्षालन करने का निषेध किया गया है। जो श्रमण इन प्रवृत्तियों को करता है उसे है * लघुचौमासी प्रायश्चित्त बतलाया गया है।
In this present chapter this prohibition regarding doing Asatana of common ascetic, consuming the live mango, mango pulp, mango juice etc. getting washing activities done by householder discarding urine-excreta at improper places, exchanging the pot, clothes & food with Parshavtha etc. decorating the body, washing of clothes etc. has been stated. The Shraman who is engaged in such types of activities the Laghu chaumasi expiation is liable for him. भिक्षु की आसातना करने का प्रायश्चित्त THE REPENTANCE OF SHOWING DISRESPECT TOWARDS AN ASCETIC
1. जे भिक्खू भिक्खुंआगाढं वयइ, वयंतं वा साइज्जइ। पर 2. जे भिक्खू भिक्खं फरूसं वयइ, वयंतं वा साइज्जइ।
B 3. जे भिक्खू भिक्खं आगाढं-फरूसं वयइ, वयंतं वा साइज्जइ। 14. जे भिक्खू भिक्खुंअण्णयरीए आसायणाए आसाएइ, आसाएंतं वा साइज्जइ।
1. जो भिक्षु अन्य भिक्षु को रोष युक्त वचन बोलता है अथवा बोलने वाले का समर्थन करता है। 2. जो भिक्षु अन्य भिक्षु को कठोर वचन बोलता है अथवा बोलने वाले का समर्थन करता है। 3. जो भिक्षु अन्य भिक्षु को रोष युक्त वचन के साथ-साथ कठोर वचन भी बोलता है अथवा बोलने
वाले का समर्थन करता है। 4. जो भिक्षु अन्य भिक्षु की किसी प्रकार की आसातना करता है अथवा करने वाले का समर्थन जुटे
करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who speaks angry words to some other ascetic or supports the one who speaks so.
| निशीथ सूत्र
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Nishith Sutra