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घर उपरोक्त 41 सूत्रों में कहे गए स्थानों का सेवन करने वाले को लघुचातुर्मासिक प्रायश्चित्त बार आता है। 4K 40. The ascetic who resides in season bonded tenure (summer and winter) to obtain
the utensils or supports the ones who resides so. 41. The ascetic who resides during rainy season (Chaturmasik) for getting utensil or
supports the ones who resides so.
Through practising, the above mentioned forty sutra there are faults, resulting in atonement of laghu-chaturmasik there.
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सूत्र1 सूत्र 2
सूत्र 3.
सूत्र 4 सूत्र 5 सूत्र 6 सूत्र.7 सूत्र 8-9 सूत्र 10-11 सूत्र 12-19
चौदहवें उद्देशक का सारांश THE SUMMARY OF FOURTEENTH CHAPTER पात्र खरीदना या खरीद कर लाया.हुआ पात्र लेना पात्र उधार लेना या उधार लाया हुआ पात्र लेना। पात्र का परिवर्तन करना या परिवर्तन कर लाया हुआ पात्र लेना। छीना हुआ पात्र, भागीदार की बिना आज्ञा लाया हुआ पात्र या सामने लाया हुआ पात्र लेना। आचार्य की आज्ञा के बिना किसी को अतिरिक्त पात्र देना। अविकलांग को या समर्थ को अतिरिक्त पात्र देना। विकलांग या असमर्थ को अतिरिक्त पात्र न देना। उपयोग में न आने योग्य पात्र को रखना, उपयोग में आने योग्य पात्र को छोड़ देना। सुन्दर पात्र को विद्रूप करना या विद्रूप पात्र को सुन्दर करना। पुराने पात्र को या दुर्गन्ध युक्त पात्र को बारंबार धोना या कल्कादि लगाना अथवा अनेक दिनों तक पानी आदि भरकर रात में रखना एवं उसे ठीक करना। सचित्त स्थान, त्रस जीव युक्त स्थान अथवा बिना दीवार वाले स्थान पर पात्र सुखाना। पात्र में त्रस जीव, धान्य बीज, कंदादि, पृथ्वी, पानी या अग्नि हो, उसे निकालकर पात्र लेना। पात्र पर कोरणी करना या कोरणी वाला पात्र लेना। अन्य स्थान में स्थित गृहस्थ से या किसी के साथ विचार चर्चा करने वाले गृहस्थी से पात्र की याचना करना। पात्र के लिए ही मासकल्प या चातुर्मास करना इत्यादि प्रवृत्तियों का लघुचौमासी प्रायश्चित्त 'आता है। To buy a Patra or to accept the one that has been brought after buying. To borrow a "Patra" or to accept the one that has been brought after borrowong.
सूत्र 20-30 सूत्र 31-36
सूत्र 37 सूत्र 38-39
सूत्र 40-41
Sutra 1 Sutra 2
चौदहवाँ उद्देशक
(255)
Fourteenth Lesson