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घर
37. The ascetic who cleanses the utensil with ash, gets it cleaned with ash. or takes घर
from one who offers after getting it cleaned so, or supports the ones who takes so,
a laghu-chaturmasik expiation comes to him. मार्ग आदि में पात्र की याचना करने का प्रायश्चित्त THE REPENTANCE OF SEEKING UTENSIL ON THE WAY 38. जे भिक्खूणायगंवा, अणायगंवा, उवासगंवा,अणुवासगंवा गामंतरंसिवा, गामपहंतरंसिवा
पडिग्गहं ओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतं वा साइज्जइ। 38. जो भिक्षु स्वजन से या अन्य से, उपासक से या अनुपासक से ग्राम में या ग्रामपथ में पात्र
माँग-माँगकर याचना करता है अथवा याचना करने वाले का समर्थन करता है। (उसे 48 लघुचातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who seeks utensils from a relative or stranger, from a devotee or devotionless while going to a village or supports the ones who does so, a laghu
chaturmasik atonement comes to him. परिषद् में बैठे हुए स्वजन आदि से पात्र की याचना करने का प्रायश्चित्त THE REPENTANCE OF BEGGING THE UTENSIL FROM A RELATIVE SITTING IN THE ASSEMBLY 39. जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा, उवासगं वा, अणुवासगं वा परिसामज्झाओ उट्ठवेत्ता *
पडिग्गहंओभासिय-ओभासिय जायइ, जायंतंवा साइज्जइ। 39. जो भिक्षु स्वजन को या अन्य को, उपासक को या अनुपासक को परिषद् में से उठाकर उससे __माँग-माँग कर पात्र की याचना करता है अथवा याचना करने वाले का समर्थन करता है। (उसे पूरे
लघुचातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है।) 39. The ascetic who begs the utensil from the relative or a stranger, the devotee or the
devotionless picking them from the assembly or supports the ones who does so, a
laghu-chatur masik expiation comes to him. पात्र के लिए भिक्षुको निवास करने का प्रायश्चित्त . THE REPENTANCE OF STAYING IN ORDER TO TO TAKE UTENSILS 40. जे भिक्खू पडिग्गह-नीसाए उडुबद्धं वसइ, वसंतं वा साइज्जइ। 41. जे भिक्खू पडिग्गह-नीसाए वासावासं वसइ, वसंतं वा साइज्जइ।
तंसेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं उग्घाइयं। 40. जो भिक्षु पात्र के लिए ऋतुबद्ध काल (सर्दी या गर्मी) में रहता है अथवा रहने वाले का समर्थन
करता है। 41. जो भिक्षु पात्र के लिए वर्षावास (चार्तुमास) में रहता है अथवा रहने वाले का समर्थन करता है। *
| निशीथ सूत्र
(254)
Nishith Sutra |