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________________ 30. जे भिक्खू खंधसि वा जाव हम्मतलंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसिर 3 दुब्बद्धे जाव चलाचले पडिग्गहंआयावेज्ज वा पयावेज्ज वा आयातं वा पयावेंतं वा साइज्जइ। 40 20. जो भिक्षु सचित्त पृथ्वी के निकट की अचित्त पृथ्वी पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 21. जो भिक्षु सचित्त जल से स्निग्ध पृथ्वी पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 22. जो भिक्षु सचित्त रज से युक्त पृथ्वी पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता 23. जो भिक्षु सचित्त मिट्टी बिखरी हुई पृथ्वी पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। जो भिक्षु सचित्त पृथ्वी पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 25. जो भिक्षु सचित्त शिला पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 26. जो भिक्षु सचित्त शिलाखण्ड आदि पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 27. जो भिक्षु दीमक आदि जीव युक्त काष्ठ पर तथा अंडे युक्त स्थान पर यावत् मकड़ी के जाले से युक्त स्थान पर पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 28. जो भिक्षु स्तम्भ, देहली, ऊखल या स्नान करने की चौकी पर अथवा अन्य भी ऐसे अंतरिक्षजात (आकाशीय) स्थान पर जो कि भलीभाँति बंधा हुआ नहीं है यावत् चलाचल है, वहाँ पात्र को सुखाता है या सुखाने वाले का समर्थन करता है। और 29. जो भिक्षु मिट्टी की दीवार पर, ईंट की दीवार पर, शिला पर या शिलाखंड आदि पर अथवा अन्य घर भी ऐसे अंतरिक्षजात (आकाशीय) स्थान पर जो कि भलीभाँति बंधा हुआ नहीं है यावत् चलाचल है, वहाँ पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। 30. जो भिक्षु स्कन्ध पर यावत् महल की छत पर अथवा अन्य भी ऐसे अंतरिक्षजात (आकाशीय) स्थान पर जो कि भलीभाँति बंधा हुआ नहीं है यावत् चलाचल है, वहाँ पात्र को सुखाता है अथवा सुखाने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who dries the utensils at the non-living land near to the living land or supports the ones who dries so. 21. The ascetic who dries the utensils at the land wet with the living water or supports the ones who dries so. 22. The ascetic who dries the utensils at the places covered with living dust or supports the ones who dries so. The ascetic who dries the utensil at the land covered with scattered living soil or supports the ones who dries so. संरे चौदहवाँ उद्देशक (251) Fourteenth Lesson IXXIXXX XOXOXOXIIMIXOXIIXXX Rixxxसरिस्पताल IX गन्ना
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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