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________________ 359. जे भिक्खू पासणियं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 60. जे भिक्खू मामगं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ।। 1 61. जे भिक्खू मामगं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 62. जे भिक्खू संपसारियं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 63. जे भिक्खू संपसारियं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 46. जो भिक्षु पार्श्वस्थ को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 47. जो भिक्षु पार्श्वस्थ की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 48. जो भिक्षु कुशील को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 49. जो भिक्षु कुशील की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। सारे 50. जो भिक्ष अवसन्न को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 51. जो भिक्षु अवसन्न की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 8852. जो भिक्षु संसक्त को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 53. जो भिक्षु संसक्त की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 54. जो भिक्षु नित्यक को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 55. जो भिक्षु नित्यक की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 56. जो भिक्षु विकथा करने वाले को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 57. जो भिक्षु विकथा करने वाले की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। और 58. जो भिक्षु नृत्यादि देखने वाले को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 59. जो भिक्षु नृत्यादि देखने वाले की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 60. जो भिक्षु उपकरण आदि पर अत्यधिक ममत्व रखने वाले को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 61. जो भिक्षु उपकरण आदि पर अत्यधिक ममत्व रखने वाले की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 62. जो भिक्षु असंयतों के आरम्भ-कार्यों का निर्देशन करने वाले को वंदन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 63. जो भिक्षु असंयतों के आरम्भ-कार्यों का निर्देशन करने वाले की प्रशंसा करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) The ascetic who salutes Parshavastha or supports the ones who does so. परे 47. The ascetic who praise the Parshavastha or supports the one who does so. 48. The ascetic who salutes to the "Kushil" or supports the ones who does so. तेरहवाँ उद्देशक (237) Thirteenth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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