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45. जे भिक्खू आरोगियपडिकम्मं करेइ, करेंतं वा साइज्जइ। 42. जो भिक्षु वमन करता है अथवा वमन करने वाले का समर्थन करता है। 43. जो भिक्षु विरेचन करता है अथवा विरेचन करने वाले का समर्थन करता है। 44. जो भिक्षु वमन या विरेचन करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 45. जो भिक्षु रोग न होने पर भी उपचार करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे
लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।)
The ascetic who vomits or supports the ones who vomits. 43. The ascetic who purgates or supports the ones who purgates. . 44. The ascetic who vomits and purgates or supports the one who does so. 15. The ascetic who is not who ill buteven cures himself or supports the ones does so,
a laghu-chaumasi repentance comes to him.
विवेचन-यहाँ साधक को बिना रोग के औषध उपचार करने का प्रायश्चित्त बताया है। इसी सन्दर्भ में घर उपरोक्त चार सूत्र समझने चाहिए।
Comments—Here atonement for taking treatment without any ailment is prescribed. The four aforesaid Sutras should be taken in the same context. पार्श्वस्थादि-वंदन-प्रशंसन प्रायश्चित्त THE REPENTANCE OF PRAISING AND SALUTING THE PARSHAVASTHA ETC. 46. जे भिक्खू पासत्थं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 47. जे भिक्खू पासत्थं पसंसइ, पासंसंतं वा साइज्जइ। 48. जे भिक्खू कुसीलं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 49. जे भिक्खू कुसीलं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 50. जे भिक्खू ओसण्णं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 51. जे भिक्खू ओसण्णं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 52. जे भिक्खू संसत्तं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 53. जे भिक्खू संसत्तं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 54. जे भिक्खू णितियं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 55. जे भिक्खू णितियं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 56. जे भिक्खू काहियं वंदइ, वंदंतं वा साइज्जइ। 57. जे भिक्खू काहियं पसंसइ, पसंसंतं वा साइज्जइ। 58. जे भिक्खू पासणियं वंदइ, वंदतं वा साइज्जइ। | निशीथ सूत्र
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Nishith Sutra