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________________ AAAAAXXXAX XIXOXIXXXOXIXXXIDAIXXXUXAMVWAVVN XIXIXXIXXIX 22. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारस्थियाण वा लक्खणं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ। 23. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वावंजणं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ। 24. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा सुमिणं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ। 25. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा विज्जं पउंजइ, पउंजंतं वा साइज्जइ। 26. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा मंतं पउंजइ, पउंजंतं वा साइज्जइ। 27. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा जोगं पउंजइ, पउंजंतं वा साइज्जइ। 17. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों का कौतुककर्म करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। 18. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों का भूतिकर्म करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। पूरे 19. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों स कौतुक-प्रश्न करता है अथवा करने वाले का समर्थन तर करता है। 20. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों के कौतुक-प्रश्नों के उत्तर देता है अथवा देने वाले का समर्थन 4 करता है। 21. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों के भूतकाल सम्बन्धी निमित्त का कथन करता है अथवा करने पर वाले का समर्थन करता है। 22. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों को उनके (शरीर के रेखा आदि) लक्षणों का फल कहता है - अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 23. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों को (उनके) तिल-मसा आदि व्यंजनों का फल कहता है । अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 24. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों को स्वपन का फल कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 25. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों के लिए “विद्या" का प्रयोग करता है अथवा करने वाले का परे समर्थन करता है। 26. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों के लिए “मन्त्र" का प्रयोग करता है अथवा करने वाले का र समर्थन करता है। 27. जो भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों के लिए “योग" (तन्त्र) का प्रयोग करता है अथवा करने वाले का समर्थन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) 17. The ascetic who performs the festive activities of a householder or the non-believer or supports the ones who does so. 18. The ascetic who does Bhutikarma of a householder or non-believer or supports the सर ones who does so. ___19. The ascetic who puts the interesting question to the householder and non-believer or supports the ones who asks so. निशीथ सूत्र Nishith Sutra (232)
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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