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विवेचन-बारंबार अर्थात् अनेक बार प्रत्याख्यान के भंग करने को दशा. द. 2 में शबलदोष कहा गया है। घर अनेक बार का अर्थ बताते हुए यहाँ भाष्यकार ने कहा है कि तीसरी बार प्रत्याख्यान भंग करने पर यह सूत्रकथित र प्रायश्चित्त आता है।
Comments—In the second chapter of Dasvaikalik Sutra to break vows again and again has been said a "Shabaladosh”. The commentator for the terms “many a times" has said for the third time, if the ascetic breaks the vows then according to the sutra repentance comes to him. प्रत्येककाय-संयुक्त आहार करने का प्रायश्चित्त THE REPENTANCE OF EATING THE FOOD MIXED WITH THE COUNTABLE LIVE-BODIES
4. जेभिक्खू परित्तकाय-संजुत्तं आहारं आहारेइ, आहारेंतं वा साइज्जइ।' 44. जो भिक्षु प्रत्येककाय से मिश्रित आहार खाता है अथवा खाने वाले का समर्थन करता है। (उसे
लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) 4. The ascetic who eats the food mixed with the countable bodied vegetable beings &
or supports the ones who eats so, a laghu-chaumasi repentance comes to him.
सरोम-चर्म-परिभोग प्रायश्चित्त
THE ATONEMENT OF USING THE LEATHER WITH FUR अरे 5. जेभिक्खू सलोमाइंचम्माइं अहिट्ठइ, अहिटेतं वा साइज्जइ। 5. जो भिक्षु रोम (केश) युक्त चर्म का उपयोग करना है अथवा करने वाले का समर्थन करता है।
(उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) सरोम चर्म-प्रयोग करने में निम्नलिखित दोष हैं, यथा1. रोमों में अनेक सूक्ष्म प्राणी उत्पन्न हो जाते हैं। 2. प्रतिलेखना अच्छी तरह नहीं हो पाती है। 3. वर्षा में कुंथुए या फूलन हो जाती है। 4. धूप में रखने से उन जीवों की विराधना होती है।
साध्वी के लिए सरोम चर्म को पूर्ण निषेध का कारण बताते हुए व्याख्याकार कहते हैं कि सरोम रे चर्म में पुरुष जैसे स्पर्श का अनुभव होता है, अत: साध्वी के लिए वह सर्वथा वर्ण्य है। ऐसा करने पर उसे गुरुचौमासिक प्रायश्चित्त आता है। 5. The ascetic who uses the hairy leather or supports the ones who uses so, a laghu
chaumasi repentance comes to him. The following faults are expected in using hairy leather. 1. Many subtle beings may grow in hair. 2. One can not clean properly the hairy objects.
3. Fungus may be effected in rainy season. निशीथ सूत्र
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Nishith Sutra