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________________ 15. जो भिक्षु लघु प्रायश्चित्त स्थान को गुरु प्रायश्चित्त स्थान कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 16. जो भिक्षु गुरु प्रायश्चित्त स्थान को लघु प्रायश्चित्त स्थान कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 17. जो भिक्षु लघु प्रायश्चित्त स्थान का गुरु प्रायश्चित्त देता है अथवा देने वाले का समर्थन करता है। 18. जो भिक्षु गुरु प्रायश्चित्त स्थान का लघु प्रायश्चित्त देता है अथवा देने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) 15. The ascetic who declares the laghu-place expiation, a guru-place expiation or supports the ones who says so. 5. The ascetic who declares the guru-expiation place, a laghu expiation place or support the ones who says so. 17. The ascetic who gives guru expiation for act deserving the laghu expiation or supports the ones who does so. 18. The ascetic who gives the laghu-expiation for act deserving the Guru-expiation or supports the ones who gives so, a guru-chaumasi expiation comes to him. प्रायश्चित्त योग्य भिक्षु के साथ आहार करने का प्रायश्चित्त THE ATONEMENT OF TAKING FOOD ALONG WITH AN ASCETIC WHO IS WORTHY OF ATONEMENT 19. जे भिक्खू उग्घाइय सोच्चा णच्चा संभंजइ, संभुंजंतं वा साइज्जइ। 20. जे भिक्खू उग्घाइय-हेउंसोच्चा णच्चा संभुंजइ, संभुंजंतं वा साइज्जइ। 21. जे भिक्खू उग्घाइय-संकप्पं सोच्चा णच्चा संभुंजइ, संभुंजंतं वा साइज्जइ। 22. जे भिक्खू अणुग्धाइय सोच्चा णच्चा संभुंजइ, संभुंजंतं वा साइज्जइ। 23. जे भिक्खू अणुग्घाइय-हेउं सोच्चा णच्चा संभुंजइ, संभुंजतं वा साइज्जइ। 24. जे भिक्खू अणुग्घाइय-संकप्पं सोच्चा णच्चा संभुंजइ,संभुजंतं वा साइज्जइ। 19. जो भिक्षु लघु प्रायश्चित्त स्थान के सेवन करने का सुनकर या जानकर उस साधु के साथ र आहारादि का व्यवहार रखता है अथवा रखने वाले का समर्थन करता है। 20. जो भिक्षु लघु प्रायश्चित्त स्थान के हेतु को सुनकर या जानकर उस साधु के साथ आहारादि का घर व्यवहार रखता है अथवा रखने वाले का समर्थन करता है। 21. जो भिक्षु लघु प्रायश्चित्त स्थान के संकल्प को सुनकर या जानकर उस साधु के साथ आहारादि का व्यवहार रखता है अथवा रखने वाले का समर्थन करता है। 22. जो भिक्षु गुरु प्रायश्चित्त स्थान के सेवन करने का सुनकर या जानकर उस साधु के साथ आहारादि का व्यवहार रखता है अथवा रखने वाले का समर्थन करता है। निशीथ सूत्र (180) Nishith Sutra
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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