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________________ अरे 7. जे भिक्खू जाणसालसिवा, जाणगिर्हसि वा, वाहणगिर्हसि वा, वाहणसालसिवा एगो एगित्थीए घर सद्धि विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ। 8. जे भिक्खू पणियगिर्हसि वा, पणियसालंसि वा, कुवियगिर्हसि वा, कुवियसालंसि वा, एगो एगित्थीए सद्धि विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ। 9. जे भिक्खू गोणसालंसिवा,गोणगिर्हसि वा, महाकुलसि वा, महागिहंसि वा एगो एगित्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ जाव असमणपाउग्गं कहं कहेइ, कहेंतं वा साइज्जइ। 1. जो भिक्षु धर्मशाला में, उद्यानगृह में, गृहस्थ के घर में अथवा परिव्राजक के आश्रम में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है, स्वाध्याय करता है, अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य का आहार करता है, उच्चार प्रस्रवण करता है या कोई साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। र 2. जो भिक्षु नगर के समीप ठहरने के स्थान में, नगर के समीप ठहरने के गृह में, नगर के समीप ठहरने की शाला में, राजा आदि के नगर, निर्गमन के समय में ठहरने के स्थान में, घर में, शाला में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। र 3. जो भिक्षु प्राकार के ऊपर के गृह में, प्राकार के झरोखे में, प्राकार व नगर के बीच के मार्ग में, प्राकार में, नगरद्वार में या दो द्वारों के बीच के स्थान में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। जो भिक्षु जलाशय में पानी आने के मार्ग में, जलाशय से पानी ले जाने के मार्ग में, जलाशय के तट पर, जलाशय में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। जो भिक्षु शून्यगृह में, शून्यशाला में, खण्डहरगृह में खण्डरशाला में, झौंपड़ी में, धन्यादि के कोठार में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। जो भिक्षु तृणगृह में, तृणशाला में, शालि आदि के तुषगृह में, तुषशाला में, मूंग, उड़द आदि के भुसगृह में, भुसशाला में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 7... जो भिक्षु यानगृह में, यानशाला में, वाहनगृह में या वाहनशाला में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न केहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। अरे 8. जो भिक्षु विक्रयशाला (दुकान) में, विक्रयगृह (हाट) में, चूने आदि बनाने की शाला में या चूना बनाने के गृह में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। 9. जो भिक्षु गौशाला में, गौगृह में, महाशाला में या महागृह में अकेला, अकेली स्त्री के साथ रहता है यावत् साधु के न कहने योग्य कामकथा कहता है अथवा कहने वाले का समर्थन करता है। (उसे गुरुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) र आठवाँ उद्देशक (149) Eighth Lesson
SR No.002486
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakavsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2015
Total Pages452
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size20 MB
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