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In above mentioned eighty aphorism, in doing the faults, law of a laghu-masik expiations is there.
तृतीय उद्देशक का सारांश
THE SUMMARY OF THE THIRD CHAPTER सूत्र-1 धर्मशाला आदि स्थानों में एक पुरुष से माँग-माँग कर याचना करना। सूत्र-2 धर्मशाला आदि स्थानों में अनेक पुरुषों से माँग-माँग कर याचना करना। सूत्र-3 धर्मशाला आदि स्थानों में एक स्त्री से माँग-माँग कर याचना करना। सूत्र-4 धर्मशाला आदि स्थानों में अनेक स्त्रियों से माँग-माँग कर याचना करना। सूत्र-5-8 धर्मशाला आदि स्थानों में कौतुकवश माँग-माँग कर याचना करना। सूत्र-9-12 धर्मशाला आदि स्थानों में अदृष्ट स्थान से आहार लाकर देने पर एक बार निषेध करके
पुनः उसके पीछे-पीछे जाकर याचना करना। सूत्र-13 गृहस्वामी के मना करने पर भी पुनः उसके घर आहार आदि लेने के लिए जाना। सूत्र-14, सामूहिक भोज (बड़े जीमनवार) के स्थान पर आहार के लिए जाना। सूत्र-15 तीन गृह (कमरे) के अन्तर से अधिक दूर का लाया हुआ आहार लेना।
पैरों का प्रमार्जन करना। सूत्र-17 पैरों का मर्दन करना। सूत्र-18 पैरों का अभ्यंगन करना। सूत्र-19 पैरों का उबटन करना। सूत्र-20 पैरों का प्रक्षालन करना। सूत्र-21 - पैरों को रंगना। सूत्र-22-27 काया का प्रमार्जन आदि करना। सूत्र-28-33 व्रण का प्रमार्जन आदि करना। सूत्र-34 गंडमाला आदि का छेदन करना।
गंडमाला आदि का पीव व रक्त निकालना। सूत्र-36 गंडमाला आदि का प्रक्षालन करना। सूत्र-37 गंडमाला आदि का विलेपन करना।
गंडमाला आदि पर तैलादि का मलना। सूत्र-39 गंडमाला आदि पर सुगन्धित पदार्थ लगाना। सूत्र-40 गदा के बाह्य भाग या भीतरी भाग के कृमि निकालना। सूत्र-41 नख काटना। सूत्र-42 जंघा के बाल काटना। सूत्र-43 गुह्य स्थान के बाल काटना।
सूत्र-35
सूत्र-38
तृतीय उद्देशक
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Third Lesson