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रोम-परिकर्म प्रायश्चित्त
EXPIATION OF HAIR CUT
42. जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं जंघ-रोमाइं कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ।
43. जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं वत्थि - रोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ।
44. जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं "रोमराई" कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइज्जइ । 45. जे भिक्खू अप्पणो दीहाई कक्ख-रोमाइं कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ।
46. जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं "उत्तरोट्ठ - रोमाई” कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ।
47. जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं ज "मंसुरोमाई” कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ।
42. जो भिक्षु अपने बढ़े हुए "जंघा " के रोमों को काटता है या सुधारता है (संवारता है) अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है ।
43. जो भिक्षु अपने बढ़े हुए गुह्य देश के रोमों को काटता है या सुधारता है अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है ।
44. जो भिक्षु अपने बढ़े हुए पेट, छाती व पीठ भाग के रोमों को काटता है या सुधारता है (संवारता है) अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है।
रोमों को काटता है या सुधारता है (संवारता है) अथवा ऐसा
45. जो भिक्षु अपने बढ़े हुए आँख
करने वाले का समर्थन करता है।
46. जो भिक्षु अपनी बढ़ी हुई "दाड़ी" को काटता है या सुधारता है (संवारता है) अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है।
47. जो भिक्षु अपनी बढ़ी हुई "मूछों" को काटता है या सुधारता है (संवारता है) अथवा ऐसा करने वाले का समर्थन करता है। ( उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है ।)
42. The ascetic who cuts or trims his grown hair of thigh or supports the ones who does so.
43. The ascetic who cuts or trims his grown hair of sexual organs or supports the ones who does so.
44. The ascetic who cuts or trims the grown hair of the belly, chest and back or supports the ones who does so.
45. The ascetic who cuts or trims the grown hair of armpits or supports the ones who does so.
तृतीय उद्देशक
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Third Lesson