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________________ चोर भी मत कहना । पाप करने वाला तो कदाचित् कल या कालांतर में पश्चाताप या प्रायश्चित करके भी अपना उद्धार कर लेगा, परन्तु कटु अप्रिय वचन बोलने वाले हम जैसों का क्या होगा । अतः वाचिक - मानसिक शुद्ध और सूक्ष्म अहिंसा का भी हमें पालन करना चाहिये । ___इस व्याख्यान में अरिहंत परमात्मा किस प्रकार बना जाता है ? बनने की प्रक्रिया क्या होती है ? आत्मा से परमात्मा बनने की शुद्ध प्रक्रिया का सिद्धान्तानुसार यहाँ वर्णन किया गया है । मनन पूर्वक इस प्रक्रिया का हमें चिंतन करना है । हमें अपनी आत्मा में निहित अनंतशक्ति का ज्ञान होना चाहिये । परमात्मा बनने का बीज भी हमारी आत्मामें पड़ा हुआ है । हाँ, इसका ज्ञान हमें होना चाहिये और फिर हवा-पानी प्रकाशादि सहयोगी कारण मिलने पर जिस प्रकार बीज विकसित होकर सम्पूर्ण वृक्ष बनता है और हजारों फल-अन्य बीजोत्पति करते हैं, उसी प्रकार हम भी अपनी आत्मा में पड़े हुए परमात्मा बनने के बीज को बीस स्थानक पदों की आराधना, तपश्चर्या तथा भावदया की भावना - चिन्तन के नीररुपी रस का सिंचन करके तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जित कर भविष्य में तीर्थंकर बनकर हजारों लाखों आत्माओं को मोक्षमार्ग की प्राप्ति करवाकर मोक्ष नगरी में पहुंचाकर भगवान बनकर मोक्षगमन करने का लक्ष्य रखें तो कितना सुंदर होगा । हम सभी इन पदों की उपासना करके आत्मा को परमात्मा बनाएँ - ऐसी ही महान् इच्छा..... जगत के सभी जीवों का कल्याण हो ऐसी भावना के साथ..... ॥ अप्पा सो परमप्पा ॥ 396
SR No.002485
Book TitleNamaskar Mahamantra Ka Anuprekshatmak Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Research Foundation
Publication Year1998
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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